मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षण पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा पर सख्त कार्रवाई की है। सरकार ने उन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया है। संतोष वर्मा 2011 बैच के अधिकारी हैं और इस समय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में उप सचिव के पद पर तैनात थे।
घटना की शुरुआत 22 नवंबर को हुई, जब भोपाल के अंबेडकर मैदान में रविवार को मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ यानि अजाक्स की साधारण सभा का आयोजन किया गया था। जिसमें वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को अजाक्स का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, लेकिन अध्यक्ष बनते ही आईएएस वर्मा सवर्णों की बेटियों को लेकर विवाद बयान देकर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने कहा था कि जब तक ब्राह्मण अपनी बेटी दान न दे, और वो उनके बेटे के साथ जब तक संबंध नहीं बना लेती, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।वहीं वर्मा के इस बयान का अन्य कर्मचारी संगठनों, ब्राह्मण समाज, भाजपा सहित कांग्रेस पार्टी ने विरोध जताते हुए कार्रवाई की मांग की थी।
प्रमोशन के लिए फर्जी दस्तावेज का आरोप
संतोष वर्मा पर प्रमोशन के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप लगा था। एक महिला की आधी रात गिरफ्तारी को लेकर भी उन्हें कठघरे में खड़ा किया गया। 2012 बैच के आईएएस संतोष वर्मा अभी कृषि विभाग में उपसचिव के पद पर तैनात हैं। अजाक्स की दो दिन पहले राज्यस्तरीय बैठक में संतोष वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष चुना गया था। लेकिन यहां उन्होंने जात-पात को लेकर ऐसी आग उगली, जिसने सनसनी फैला दी।
एक वरिष्ठ मंत्रालय अधिकारी ने कहा कि कोई भी सिविल सर्वेंट, चाहे किसी भी रैंक का हो, संवैधानिक नीतियों की ऐसी सार्वजनिक आलोचना नहीं कर सकता जिससे सामाजिक ताना-बाना प्रभावित होता हो। गौरतलब है कि संतोष वर्मा काफी विवादित अफसर रहे हैं। इसे लेकर वह जेल भी जा चुके हैं।













