उत्तम शौच का अर्थ है पवित्रता, आचरण में नम्रता, विचारों में निर्मलता लाना ही शौच धर्म है : आर्यिका सुबोधमति माताजी

दशलक्षण महापर्व के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने उत्तम शौच धर्म को अंगीकार किया

उत्तम शौच का अर्थ है पवित्रता, आचरण में नम्रता, विचारों में निर्मलता लाना ही शौच धर्म है : आर्यिका सुबोधमति माताजी

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लोकमतचक्र डॉट कॉम।

हरदा :  श्री दिगंबर जैन समाज के चल रहे आत्म शुद्धि के पावन पर्व पर्यूषण पर्व के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने उत्तम शौच धर्म को अंगीकार किया। शौच धर्म का महत्व समझाते हुए आर्यिका सुबोधमति माताजी ने कहा कि उत्तम शौच का अर्थ है पवित्रता है। आचरण में नम्रता, विचारों में निर्मलता लाना ही शौच धर्म है। बाहर की पवित्रता का ध्यान तो हर कोई रखता है लेकिन यहां आंतरिक पवित्रता की बात है। आंतरिक पवित्रता तभी घटित होती है जब मनुष्य लोभ से मुक्त होता है।

आर्यिका माताजी ने कहा कि उत्तम शौच धर्म कहता है कि आवश्यक्ता, आकांक्षा, आसक्ति और अतृप्ति के बीच को समझकर चलना होगा क्योंकि जो अपनी आवश्यक्ताओं को सामने रखकर चलता है वह कभी दुखी नहीं होता और जिसके मन में आकांक्षाएं हावी हो जाती हैं वह कभी सुखी नहीं होता। हावी होती हुई आकांक्षाएं आसक्ति(संग्रह के भाव) की ओर ले जाती है और आसक्ति पर अंकुश न लगाने पर अतृप्ति जन्म लेती है, अंततः प्यास, पीड़ा आतुरता और परेशानी बढ़ती है ।

माताजी ने कहा कि उत्तम शौच को आचरण में कैसे लाए इसके लिए धर्म पथ पर चलते हुए मन में, विचारों में और आचरण में शुद्वता लानी होगी। कषाय को, लोभ को और मलिनता को कम करना होगा। धनाकांक्षा,भोगाकांक्षा, दुराकांक्षा और महत्वाकांक्षा इनकी तीव्रता से अपने आप को बचाकर ही उत्तम शौच धर्म को अपने आचरण में लाया जा सकता है।

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उक्त जानकारी देते हुए जैन समाज के कोषाध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि प्रतिदिन के नित्य नियम कार्यक्रमों के साथ ही महिला परिषद द्वारा संध्या काल में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं । कल रात्रि में आयोजित किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत जैन समाज के 10 वर्ष तक के बच्चों का टैलेंट शो रखा गया था।  उक्त टैलेंट शो में बच्चों ने अपने कला कौशल का प्रदर्शन करते हुए मिमिक्री, गिटार वादन, हारमोनियम वादन, ढोलक वादन, नृत्यकला एवं अन्य विधाओं का प्रदर्शन किया।  बच्चों के कार्यक्रम की सराहना करते हुए महिला परिषद के द्वारा सभी सहभागी बच्चों को पुरस्कृत किए जाने की घोषणा की गई।  आज प्रातः काल मंदिर जी में शांति धारा का सौभाग्य आलोक, अभय, अशोक बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ।

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