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चार साल से अटका नामांतरण, 30 मिनट में हुआ समाधान: किसान की आंखों में छलक आए आंसू, तहसीलदार और पटवारी का माल्यार्पण कर कहा– ‘अब चैन मिला’

शासकीय कार्यों की भीड़ के बीच कभी–कभी ऐसे पल सामने आते हैं जो व्यवस्था में भरोसा और जनता–प्रशासन के बीच रिश्ते को नई मजबूती देते हैं। ऐसा ही भावुक कर देने वाला दृश्य शुक्रवार को पटवारी दिवस के दौरान मध्य प्रदेश की तहसील कैलारस में देखने को मिला, जब ग्राम कोतसिरथरा के किसान मावसिया कुशवाह अपनी चार साल पुरानी समस्या के समाधान पर कृतज्ञता जताने पहुंचे।

मावसिया कुशवाह का नामांतरण वर्ष 2021 से अटका हुआ था। दस्तावेजों की कमी के कारण कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था। हाल ही में उन्होंने CM हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद तहसीलदार कैलारस ने स्वयं उन्हें फोन कर पूरे मामले को समझा। करीब आधे घंटे की बातचीत में समाधान तलाशा गया और तत्पश्चात आदेश पारित कर नामांतरण अमल में ला दिया गया। शिकायत भी तत्काल बंद कर दी गई।

लेकिन किसान के लिए यह समाधान सिर्फ एक प्रशासनिक आदेश नहीं था—यह चार वर्षों का इंतज़ार और मन में बैठा बोझ हटने जैसा था। कई दिनों से वे तहसीलदार से मिलना चाह रहे थे, पर व्यस्तता के कारण मुलाकात नहीं हो पा रही थी।

आज जब वे पटवारी दिवस पर पहुंचे, तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। अपने साथ फूलों की माला लेकर आए मावसिया कुशवाह ने तहसीलदार और हल्का पटवारी दोनों का माल्यार्पण कर आभार जताया। किसान का कहना था—“सर, आपने 30 मिनट में वह काम कर दिया, जिसका मैं 4 साल से इंतज़ार कर रहा था। यह सम्मान मेरा प्रण था।”

मावसिया कुशवाह की सरलता और कृतज्ञता देखकर उपस्थित जन भी भावुक हो गए। इस अवसर पर तहसीलदार ने कहा—“गांधीजी कहते थे कि अंतिम पंक्ति का व्यक्ति ही हमारे कार्य का केंद्र होना चाहिए। ईश्वर हमें ऐसी सेवा करने की शक्ति देता रहे।” कैलारस तहसील में किसान और प्रशासन के बीच भरोसे व संवेदनशीलता का यह उदाहरण चर्चा का विषय बना हुआ है।

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