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मध्यप्रदेश पुलिस का बड़ा फैसला : ढाबा-होटल से पकड़ी गईं सेक्स वर्कर्स अब नहीं होंगी आरोपी, PHQ ने दिए निर्देश

भोपाल। मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत ढाबों, होटलों और अन्य स्थानों पर संचालित वेश्यालयों से पकड़ी जाने वाली महिला सेक्स वर्कर्स को अब आरोपी नहीं माना जाएगा। 4 अप्रैल 2025 को जारी इस निर्देश के बाद पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और भोपाल-इंदौर के पुलिस आयुक्तों को पत्र लिखकर सख्त अनुपालन के आदेश दिए हैं। इस फैसले से उन महिलाओं को राहत मिलेगी, जो अक्सर शोषण का शिकार होने के बावजूद कानूनी जाल में फंस जाती थीं।

पिछले कुछ सालों में यह देखा गया कि जब पुलिस ढाबों, होटलों या अन्य संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी करती थी, तो कार्रवाई के दौरान महिला सेक्स वर्कर्स को भी आरोपी बना दिया जाता था। हालांकि कई मामलों में ये महिलाएं स्वेच्छा से इस पेशे में नहीं थीं, बल्कि मानव तस्करी, आर्थिक मजबूरी, या शोषण के शिकार थीं।

इस असमान व्यवहार को खत्म करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने कदम उठाया है। विशेष डीजी (महिला सुरक्षा) प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि इन महिलाओं को पीड़ित और शोषित व्यक्तियों के रूप में माना जाए न कि अपराधियों के रूप में।

स्पेशल डीजी महिला सुरक्षा प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि, कई जिलों में अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर्ड किए जाने वाले अपराधों में अक्सर देखने में आता है कि होटल संचालकों और ढाबा मालिकों द्वारा पैसा लेकर होटल और ढाबों के कमरे में वेश्यालय संचालित किया जाता है। ऐसे मामलों में पुलिस द्वारा दबिश दिए जाने के दौरान वहां से पकड़ी जाने वाली महिला को भी आरोपी बनाया जाता है।

 

स्पेशल डीजी ने कहा है कि महिला सेक्स वर्कर के साथ पीड़ित और शोषित के जैसे करने को लेकर पूर्व में भी निर्देश दिए गए हैं। इसको लेकर 21 सितम्बर 2023 को सर्वोच्च न्यायालय के क्रिमिनल अपील क्रमांक 135-2020 बुद्धदेव कर्मास्कर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य के आदेश का हवाला देते हुए जारी निर्देश में कहा गया है कि वेश्यालयों में दबिश के दौरान स्वैच्छिक लैंगिक कार्य अवैध नहीं है।

केवल वेश्यालय चलाना अवैध है, सेक्स वर्कर को गिरफ्तार कर दंडित अथवा परेशान नहीं करना चाहिए। इस आदेश के आधार पर पीएचक्यू ने ऐसे स्थानों पर मिलने वाली महिला सेक्स वर्कर को न तो गिरफ्तार किया जाए और न ही उनका किसी भी प्रकार से शोषण किया जाए।

संवेदनशीलता और सहानुभूति का निर्देश

पुलिस मुख्यालय ने सभी संबंधित अधिकारियों को कठोर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है, ताकि महिला सेक्स वर्कर्स के मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो। नए निर्देशों के तहत इन महिलाओं को न तो गिरफ्तार किया जाएगा और न ही उन्हें अनावश्यक परेशानी दी जाएगी। इसके बजाय पुलिस को उनके साथ संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ व्यवहार करने का आदेश दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य उन महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और सहानुभूतिपूर्ण माहौल बनाना है, जो लंबे समय से सामाजिक और कानूनी कलंक के शिकार रही हैं।

बता दें कि, इससे पहले सेक्स वर्कर्स को अक्सर आपराधिक मामलों में शामिल कर लिया जाता था, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती थी। अब, इस नए दृष्टिकोण से न केवल इन महिलाओं को कानूनी राहत मिलेगी, बल्कि उन्हें पुनर्वास और सहायता के लिए आगे बढ़ने का मौका भी मिलेगा।

पुलिस अब इन महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण पर ध्यान देगी। यदि कोई महिला सेक्स वर्कर शोषण का शिकार पाई जाती है, तो उसे तुरंत सहायता और परामर्श प्रदान किया जाएगा। इसके लिए पुलिस को स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और सामाजिक कल्याण विभागों के साथ समन्वय करने के निर्देश दिए गए हैं।

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