तहसीलदार के रीडर की किसान ने कि पिटाई, किसान को परेशान करने करने के कारण
काफी समय से नामांतरण को लेकर तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहा था किसान
स्थानांतरित रीडर न्याय के मंदिर को बना रखा है दुकान, रिश्वत मिलने पर ही होते हैं काम
तहसीलदार की मिलीभगत ओर संरक्षण की शहर में चर्चा
लोकमतचक्र.कॉम।
सीधी। न्याय की मंदिर को व्यापारियो की भांति चलाने वाले रीडर पर आखिरकार किसान का गुस्सा फूट ही गया, किसान ने रीडर के गाल में चाटा रसीद कर रिश्वतखोरी की मुहर लगा दी है । जिसकी शिकायत कोतवाली में दर्ज कराई गई है। बता दें की तहसील न्यायालयों में प्रस्तुत होने वाले प्रकरणों का निराकरण समय पर न होने के चलते अक्सर कास्तकारों को परेशान होते देखा जाता है। ऐसे ही रोष के चलते गुरुवार को दोपहर नायब तहसीलदार कार्यालय गोपद बनास के रीडर रमेश प्रसाद मिश्रा के साथ आक्रोशित फरियादी ने कार्यालय के अंदर ही मारपीट कर दी गई। घटना के बाद रीडर ने सिटी कोतवाली थाना पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में रीडर रमेश प्रसाद मिश्रा पिता मोतीलाल मिश्रा 56 वर्ष निवासी कुशमहर, थाना चुरहट ने कहा है कि गुरुवार की दोपहर करीब 2.30 बजे वो कार्यालय में अपने शासकीय कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे। उसी दौरान सजन सिंह पिता सिंह निवासी जमोड़ी आए और बोले की मेरा हारवानी का काम हुआ की नहीं। जब उन्हें बताया गया कि साहब नहीं बैठे हैं ये सुनते ही सजन सिंह द्वारा गाली गलौज करते हुए हाथ पकड़कर बाए गाल में हाथ से मारपीट की गई। जिससे गाल एवं आंख में दर्द है। घटना के दौरान मौजूद कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा बीच बचाव किया गया। आरोपी के विरूद्ध कोतवाली में धारा 294, 186, 353, 332 आईपीसी के तहत आपराधिक मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में किया गया है।
किसान 9 माह से काट रहा था चक्कर
बताया गया कि आरोपी किसान ने मार्च 2021 में भूमि क्रय की थी। जिसके नामांतरण हेतु तहसील कार्यालय में नामांतरण हेतु आवेदन दिया था और नामांतरण कराने हेतु काफी दिनों से तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहा था। किंतु 9 माह से उसे रीडर द्वारा भटकाया जा रहा था। नायब तहसीलदार के रीडर ने किसान को इतना परेशान कर दिया कि वो अपना आपा खो बैठा और मारपीट कर दी।
ट्रांसफर उपरांत भी पदस्थ है रीडर, तहसीलदार की कृपा से
तहसील कार्यालय गोपद बनास में पदस्थ रीडर सतेन्द्र मिश्रा का स्थानांतरण एक वर्ष पूर्व सिहावल तहसील के लिए कर दिया गया था। किंतु अभी तक वो तहसील कार्यालय गोपद बनास में जमे हुए हैं। तहसीलदार द्वारा अभी तक स्थानांतरित रीडर को भारमुक्त नहीं किया गया है। रीडर की कारस्तानी व कास्तकारों से फैसला करानें के नाम पर की जा रही अवैध वसूली से कास्तकार व किसान काफी परेशान हैं । गौरतलब है कि शिकायतों के बाद भी तहसीलदार द्वारा रीडर पर कार्यवाही नहीं करना ओर उसे संरक्षण देना मामले में तहसीलदार की सहभागिता को इंगित करता है। उक्त चर्चा पूरे स्टाफ के साथ शहर में व्याप्त है।