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IAS संतोष वर्मा प्रकरण: मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद प्रशासन में मची हलचल, कृषि विभाग से हटाया, भेजा बर्खास्तगी का प्रस्ताव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने IAS संतोष वर्मा से जुड़े गंभीर प्रकरण का संज्ञान लेते हुए सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को कठोर कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद विभाग ने तत्परता दिखाते हुए तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनसे पूरे प्रशासनिक तंत्र में संदेश गया है कि फर्जीवाड़े और अनियमितताओं पर किसी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राज्य शासन ने संतोष वर्मा को उप सचिव, कृषि विभाग के पद से तत्काल प्रभाव से हटाते हुए उन्हें जीएडी पूल में बिना किसी विभाग और बिना किसी कार्य के अटैच कर दिया है।

पहले निर्णय में जीएडी ने स्पष्ट किया है कि संतोष वर्मा द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में पदोन्नति फर्जी और जाली दस्तावेजों के आधार पर हासिल की गई। वर्मा के विरुद्ध विभिन्न न्यायालयों में चल रहे आपराधिक प्रकरणों को देखते हुए पदोन्नति स्वीकृत नहीं होनी चाहिए थी। इस आधार पर राज्य शासन ने वर्मा को आईएएस सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

दूसरे निर्णय के तहत संतोष वर्मा पर जाली दस्तावेज़ों के आधार पर संनिष्ठा प्रमाण पत्र प्राप्त करने के गंभीर आरोपों की विभागीय जांच अंतिम चरण में पहुँच गई है। विभाग का कहना है कि उन्हें जारी कारण बताओ सूचना पत्र के जवाब को संतोषजनक नहीं पाया गया। इसके साथ ही वर्मा द्वारा लगातार मर्यादा-विहीन वक्तव्य दिए जाने को अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें चार्जशीट जारी करने का निर्णय लिया गया है।

तीसरे महत्वपूर्ण कदम में राज्य शासन ने संतोष वर्मा को उप सचिव, कृषि विभाग के पद से तत्काल प्रभाव से हटाते हुए उन्हें जीएडी पूल में बिना किसी विभाग और बिना किसी कार्य के अटैच कर दिया है। यह कदम संकेत देता है कि जब तक समस्त जांचें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उन्हें किसी महत्वपूर्ण प्रशासनिक भूमिका में नहीं रखा जाएगा।

सरकार क्यों भेज रही है बर्खास्तगी का प्रस्ताव?

सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) की रिपोर्ट में बताया गया कि वर्मा ने फर्जी और जाली आदेश बनाकर IAS पद पर पदोन्नति ली थी। उनके विरुद्ध कई आपराधिक प्रकरण अदालतों में लंबित हैं। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लिया गया IAS प्रमोशन “गलत और अवैध” माना गया है।

उन पर जाली और फर्जी दस्तावेज के आधार पर संनिष्ठा प्रमाण पत्र प्राप्त करने के आरोप के लिए विभागीय जांच अंतिम स्तर पर है। सरकार का कहना है कि वर्मा द्वारा भेजा गया जवाब असंतोषजनक है। इन आधारों पर CM यादव ने कहा कि वर्मा को IAS सेवा में रखना “अनुशासन और कानून व्यवस्था के खिलाफ” है।

हाल ही में दिए थे दो विवादित बयान

IAS संतोष वर्मा ने हाल के दिनों में दो बड़े विवादित बयान दिए थे। आईएएस संतोष वर्मा के बयान के खिलाफ लगातार लोगों में गुस्सा था। कई जगह ब्राह्मण समाज के लोगों ने प्रदर्शन किया था और कार्रवाई की मांग की थी। जगह-जगह वर्मा के पुतले भी फूंके गए थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। इसके बाद बड़े आंदोलन की भी तैयारी थी।

  • 1. ब्राह्मण बेटियों पर टिप्पणीः अजाक्स सम्मेलन में बोले: “जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।”
  • 2. हाईकोर्ट पर गंभीर आरोपः एक अन्य वीडियो में कहा: “एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज कोई और नहीं, हाईकोर्ट नहीं बनने दे रहा है… कटऑफ मार्क्स जानबूझकर कम दिए जाते हैं।
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