नगर में निकली भगवान महावीर की शोभायात्रा, विश्वशांति की कामना को लेकर किया श्रीजी का मंगल अभिषेक
हरदा । जियो ओर जीने दो का विश्व को संदेश देने वाले जैन समाज के वर्तमान शासन नायक तीर्थंकर भगवान श्री 1008 महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के अवसर पर दिगम्बर जैन समाज द्वारा विश्व कल्याण की भावना को लेकर 108 कलशों से भगवान श्री 1008 महावीर स्वामी का अभिषेक कर चौंसठ ऋद्धी सिद्धी दिपकों के साथ बृहद शांति धारा की गई।
जैन समाज हरदा के कोषाध्यक्ष राजीव रविंद्र जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को भगवान महावीर स्वामी का जन्म हुआ था इस दिन को समस्त जैन समाज हर्षोल्लास से मनाता है । जैन धर्म के वर्तमान शासन नायक भगवान श्री 1008 महावीर स्वामी के पूर्व से ही तेबीस तीर्थंकर हुए हैं, महावीर स्वामी जी चौबीसवें तीर्थंकर है। अहिंसा परमोधर्म:, जियो ओर जिने दो जैसे जैन सिद्धान्त को समूचे प्राणी जगत में प्रतिपादित करने वाले तीर्थंकर देवाधिदेव श्री 1008 श्री महावीर भगवान के जन्म कल्याणक महोत्सव पर जैन समाज द्वारा अनेकों धर्मिक आयोजन स्थानीय श्री दिगम्बर जैन मंदिर खेड़ीपुरा में आयोजित किए गए। जिसमें प्रात:काल नगर में प्रभातफेरी निकाल कर मंदिर में श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा कर भगवान श्री महावीर स्वामी जी की पूजा अर्चना की गई। प्रथम शांतिधारा का सौभाग्य रविंद्र राजीव रपरिया परिवार को प्राप्त हुआ तो द्वितीय शांतिधारा का सौभाग्य श्रीमति शकुंतला गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ ।
इसके पश्चात मुनिश्री सुयश सागर जी महाराज के सानिध्य में भगवान महावीर स्वामी को चांदी के विमान में विराजमान कर नगर में शोभायात्रा निकालि गई। शोभायात्रा का जैन समाज का समाज के साथ ही वैश्य महासम्मेलन, भाजपा नगर मंडल एवं अन्य समाजिक संगठनों ने अभिनंदन किया। नगर भर में जैन समाज के लोगों ने शोभायात्रा में शामिल मुनि १०८ श्री सुयश सागर जी महाराज के चरण पखारै तथा भगवान महावीर स्वामी की आरती कि।
शोभायात्रा के पश्चात मंदिर में भगवान की वृह्द शांतिधारा तथा अभिषेक मुनिश्री सुयश सागर जी के मुखारविंद से किया गया । जिसमें प्रथम कलश का सौभाग्य विनोद अजमेरा परिवार, प्रथम शांतिधारा का सौभाग्य राजीव रविंद्र रपरिया परिवार एवं द्वितीय शांतिधारा का सौभाग्य स्वदेश स्वासिक गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ ।
इस अवसर पर मुनि श्री सुयश सागर जी महाराज ने उपस्थित समाजजनों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने हमें बताया कि धर्म के पालन में ही जीवन है। भगवान महावीर स्वामी वैदिक यज्ञ, जिनमें पशु बलि होती थी, उसकी हिंसा से विशेष रूप से खिन्न थे। उन्होंने जैन मत की परम्परा में परिष्कार और परिवर्धन किया और धर्म को सर्वोत्तम मंगल कहा। उनके लिए धर्म का आशय था अहिंसा, संयम और तप। उन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच महा व्रतों को स्वीकार कर धर्म के आचरण का आह्वान किया । समस्त जीवों को अहिंसा परमोधर्म: तथा जियो ओर जिने दो कि राह बताई। मुनिश्री के चरण पक्षालन का सौभाग्य पवन अंकित सिंघई परिवार को एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य मुकेश सचिन बंकेबरिया परिवार को प्राप्त हुआ ।
संध्याकालीन कार्यक्रम की जानकारी देते हुए महिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती रेखा अजमेरा ने बताया कि मंदिर जी में संध्याकाल में महाआरती का आयोजन कर महिला परिषद के सौजन्य से पालना झुलाने का आयोजन किया गया है। रात्रि 8.30 बजे से बधाई गीत आयोजित कर प्रभावना का वितरण किया जाएगा । सभी आयोजन में जैन धर्मावलंबी काफी संख्या में उपस्थित थे। गत एक सप्ताह सै नगर के चारों जैन मंदिरों में महिलाओं द्वारा प्रतिदिन संध्या में बधाई गीत भजन का आयोजन कर प्रभावना वितरण की गई।