पटवारी भर्ती परीक्षा की जाँच रिपोर्ट में नहीं पाया गया किसी तरह का घोटाला
लोकमतचक्र डॉट कॉम।
भोपाल। पटवारी भर्ती परीक्षा की जाँच रिपोर्ट में किसी भी तरह का कोई घोटला नहीं पाया गया है। पटवारी परीक्षा के रिजल्ट को मान्य करा दिया गया है। चयनित पटवारियों को नियुक्ति दी जाएगी। इस परीक्षा में गड़बड़ी के ऐसे सबूत जांच आयोग को नहीं मिले हैं, जिसके आधार पर पूरी परीक्षा निरस्त की जाए। जस्टिस राजेंद्र वर्मा ने जांच के बाद सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है।
सूत्रों का कहना है कि जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ एक सेंटर में अप्रत्याशित परिणाम के आधार पर पूरी भर्ती प्रक्रिया पर संदेह करना ठीक नहीं है। अब गेंद सरकार के पाले में है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर फैसला ले।
ये है पूरा मामला
मध्य प्रदेश में पटवरी के पदों पर भर्ती की जा रही है। लेकिन उससे पहले इस भर्ती को लेकर विवाद हो गया था। जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड की विवादों में घिरी ग्रुप-2 (सब ग्रुप-4) और पटवारी चयन परीक्षा रद्द हो सकती है ऐसी खबर सोशल मीडिया में वायरल हो रही थी। लेकिन इसके बाद इस परीक्षा में मंथन शुरू हो गया और सरकार ने पटवारी भर्ती को हरी झंडी दे दी है।
भर्ती को लेकर हुआ था बवाल
दरअसल पटवारी भर्ती में रिजल्ट जारी होने के बाद भर्ती में धांधली को शक तब हुआ, जब ग्वालियर के भाजपा नेता के एनआरआई कॉलेज में बने सेंटर से टॉप-10 में 7 अभ्यर्थियों ने जगह बना ली। जैसे ही अन्य अभ्यर्थियों को पता चला तो वे विरोध में उतर आएं। इसके बाद से ही चयन प्रक्रिया और परीक्षा पर सवाल उठ रहे थे।
हालांकि, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के 26 जनवरी को 28 हजार भर्तियों वाले बयान के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार चयनित उम्मीदवारों को निराश नहीं करेगी। संभवतः लोकसभा चुनाव से पहले ही भर्ती की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।जांच रिपोर्ट में ग्वालियर के एनआरआई सेंटर की कार्यप्रणाली पर जरूर कुछ सवाल हैं। इस सेंटर के परीक्षा परिणाम पर आखिरी फैसला सरकार को ही करना है। सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनोद कुमार ने बताया कि जस्टिस वर्मा ने मुख्य सचिव वीरा राणा को रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में क्या है, अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। रिपोर्ट पर सरकार ही अंतिम फैसला लेगी।
कर्मचारी चयन बोर्ड की निदेशक षणमुख प्रिया मिश्रा कह चुकी हैं कि जांच रिपोर्ट पर सरकार को फैसला लेना है। इसमें कर्मचारी चयन बोर्ड की भूमिका नहीं है।
नवंबर 2022 में पटवारी सहित ग्रेड-3 के 9200 पदों के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने नोटिफिकेशन जारी किया था। 15 मार्च से 26 अप्रैल तक 78 परीक्षा सेंटर पर परीक्षाएं हुईं। इस परीक्षा के लिए 12 लाख 7963 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसमें 9 लाख 78 हजार 270 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए।
30 जून को रिजल्ट आया। 8617 पदों के लिए मेरिट लिस्ट जारी हुई। बाकी पदों के रिजल्ट रोके गए, लेकिन इसी दौरान ग्वालियर के एक ही सेंटर एनआरआई कॉलेज से 10 में 7 टॉपर के नाम सामने आने के बाद परीक्षा पर सवाल उठने लगे। परीक्षा में धांधली के आरोप लगाते हुए लाखों छात्र प्रदेश के शहरों में सड़कों पर उतर गए। विधानसभा चुनाव से ऐन पहले युवाओं की नाराजगी को भांपते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 13 जुलाई की शाम को परीक्षा की जांच कराने की घोषणा कर दी।
19 जुलाई को जस्टिस राजेंद्र वर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया। आयोग को जांच के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया,लेकिन इसके बाद जांच आयोग का कार्यकाल पहले 31 अक्टूबर और फिर 15 दिसंबर तक बढ़ गया। इसके बाद नई सरकार में कार्यकाल 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया।