जमीन अधिग्रहण में 42 लाख हड़प गई SDM की गैंग, निलंबन की तैयारी
FIR हुई दर्ज, आदिवासी की जमीन का मामला
लोकमतचक्र.कॉम।
भोपाल : गरीब आदिवासी की जमीन पर बनने वाले तालाब के भू-अर्जन के मामले में तात्कालीन भू-अर्जन अधिकारी एसडीएम द्वारा और उसकी गैंग ने भ्रष्टाचार की सीमा को पार करते हुए आपस में मिलीभगत से गरीब आदिवासी किसान का बैंक में खाता खुलवा कर फर्जी तरीके से 42 लाख रुपए हड़प लिए जाने का मामला सामने आया है। उक्त मामले को लेकर एसडीएम ओर उसकी गैंग के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कि जाकर कार्यवाही शुरू हो गई है। शीघ्र ही एसडीएम को निलंबित किए जाने की कार्यवाही भी की जावेगी।
मामला यूं है कि बुरहानपुर जिले के नेपानगर क्षेत्र में बोरवन तालाब की डूब क्षेत्र की भूमि मुआवजे की 42 लाख की रकम हड़ने की आरोपी राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी विशा माधवानी जल्द निलंबित होंगी। उनके निलंबन का प्रस्ताव बुरहानपुर कलेक्टर प्रवीण सिंह ने इंदौर संभागायुक्त को भेजा है। इस महिला अधिकारी ने फर्जीवाड़ा कर एक भू माफिया, होमगार्ड सैनिक और अन्य आरोपियों के साथ आदिवासी की डूब क्षेत्र की भूमि का मुआवजा हड़पने की कार्यवाही की है। दो माह की लंबी जांच के बाद इस समय झाबुआ में पदस्थ महिला अधिकारी समेत अन्य आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।
पूरे मामले की जांच कराने के बाद की गई कार्यवाही के बारे में कलेक्टर प्रवीण सिंह ने कहा कि इस केस में छह आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। नेपानगर के बोरवन तालाब की डूब क्षेत्र में आने वाली जमीन के खसरा नम्बर 190 और 194 का मुआवजा जिसे मिलना था, उसे देने के बजाय तब एसडीएम नेपानगर रही विशा माधवानी ने दो अलग-अलग बैंक खातों में डालकर सहयोगियों के माध्यम से निकाल लिया और जिसकी जमीन थी, उसे भुगतान नहीं किया गया।
इस मामले में हुई शिकायत के बाद अपर कलेक्टर से पूरे घपले की जांच कराई तो पता चला कि एसडीएम के साथ उसके साथ रहा होमगार्ड सैनिक सचिन वर्मा, तत्कालीन प्रबंधक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक खंडवा संजय मावस्कर (विधानसभा चुनाव लड़ चुके नेता), अवैध कार्यो में लिप्त रहने वाला इम्तियाज, एसडीएम कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड 3 अंकित काटे और केंद्रीय जिला सहकारी बैंक खंडवा के कैशियर अनिल पाटीदार, सहायक लेखापाल अशोक लागन ने मिलीभगत कर भूअर्जन की राशि के 41 लाख 57 हजार रुपए से अधिक का भुगतान फर्जी एकाउंट में करके निकाला है। इसके बाद अब इन सबके विरुद्ध एफआईआर हुई है।
राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर सकते में
इस घटनाक्रम के बाद राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर सकते में हैं क्योंकि विशा माधवानी राप्रसे की पीएससी से सिलेक्टेड अफसर हैं। वे पहले जिला पंजीयक और महिला बाल विकास विभाग में भी पदस्थ रही हैं। बताया जाता है कि माधवानी को पैसे का लालच था। इसके चलते जिसका मुआवजा हड़पा उस आदिवासी परिवार के पारिवारिक विवाद और परिवार के कुछ सदस्यों के बैतूल में होने का फायदा एसडीएम और उनकी गैंग ने उठाया।
एसडीएम विशा माधवानी
38 लाख की कार से था आना जाना
पूरे घटनाक्रम की जांच के दौरान एसडीएम रही विशा माधवानी बयान दर्ज कराने के लिए चमचमाती कार से नेपानगर पहुंचती रही है। इस कार की कीमत 38 लाख रुपए बताई जा रही है। विशा ने शुरुआत में खुद को निर्दोष बताया था लेकिन बाद में जांच में फर्जी नोटशीट पक़ड़ में आने पर वह घिरती चली गई।