चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने शासकीय कर्मचारियों/अधिकारियों के मामले में विभागीय मंत्रीयों ओर नेताओं के हस्तक्षेप पर रोक लगाते हुए एक मामले में कहा कि किसी भी कर्मचारी/अधिकारी को सस्पेंड करने का किसी मंत्री को अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने जारी आदेश में कहा कि अन्य बातों के साथ-साथ यह भी तर्क दिया गया है कि याचिकाकर्ता को दिनांक 07.07.2024 को आयोजित शिकायत निवारण समिति की बैठक के दौरान लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री के मौखिक निर्देश पर दिनांक 12.08.2024, अनुलग्नक पी-3 के तहत निलंबित किया गया है। यह आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर है, क्योंकि मंत्री के पास ऐसा निर्देश जारी करने का कोई अधिकार नहीं था। दिनांक 12.08.2024 के विवादित आदेश का क्रियान्वयन स्थगित रहेगा। गौरतलब है कि मंत्रीयो द्वारा अपने रसूख को दिखाने के लिए छोटे कर्मचारियों ओर अधिकारियों को प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत छोटी मोटी शिकायत पर निलंबित करने की घोषणा कर दी जाती है, इससे कई बार दोषी नहीं होने के बाद भी कर्मचारी दंडित होते है ।
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