जैन समाज के आत्म शुद्धि का पावन पर्व पर्यूषण आज से हुआ प्रारंभ…

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आत्म कल्याण के लिए दिगम्बर जैन करेंगे दस दिनों तक कठोर तप साधना…

नगर के चारों जैन मंदिरों में उत्साह ओर उल्लास से शुरू हुआ पर्वराज पर्यूषण

हरदा : भारतीय संस्कृति में पर्वों एवं त्योहारों की समृद्ध परंपरा है। पर्यूषण इसी परंपरा में जैन धर्म का एक महान पर्व है। पर्यूषण का शाब्दिक अर्थ है चारों ओर से सिमट कर एक स्थान पर निवास करना या स्वयं में वास करना। इस अवधि में व्यक्ति दस धर्म की आराधना कर मोक्षमार्ग तक का रास्ता तय कर सकता है।  यह पर्व 10 दिन के लिए भादों के महीने में होता है। दिगंबर जैन समाज इसे 10 दिन तक दस लक्षण पर्व के नाम से मनाते हैं।

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पर्यूषण पर्व के बारे में जानकारी देते हुए जैन समाज के कोषाध्यक्ष राजीव रविन्द्र जैन एवं सहसचिव संजय पाटनी ने बताया कि दशलक्षण पर्व अनादिनिधन पर्व है । यह वर्ष में तीन बार दस- दस दिनों के लिए आता है । चैत्र, माघ एवं भादों के महीने में शुक्ला पंचमी से लेकर चतुर्दशी तक दस दिन तक जैन समाज के श्रद्धालु भक्तगण जैन मंदिरों में बड़ी श्रद्धा के साथ इस पर्व को अनेक आयोजनपूर्वक मनाते हैं । इस पर्व में प्रतिदिन एक- एक धर्म ( जैसे- उत्तम क्षमा,मार्दव,आर्जव,सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रम्हचर्य ) की पूजन एवं जाप्य करते हैं । पर्व के प्रारंभ में आज क्षमा धर्म की आराधना की गई। 

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राजीव जैन ने बताया कि क्षमा धर्म पर हम उनसे क्षमा मांगते है जिनके साथ हमने बुरा व्यवहार किया हो और उन्हें क्षमा करते है जिन्होंने हमारे साथ बुरा व्यवहार किया हो। सिर्फ इंसानो के लिए हि नहीं बल्कि हर प्राणीमात्र जिसमें एक इन्द्रिय से पांच इन्द्रिय जीवो के प्रति जिनमें जीवन है उनके प्रति भी ऐसा भाव रखते हैं। उत्तम क्षमा हमारी आत्मा को सही राह खोजने मे और क्षमा को जीवन और व्यवहार में लाना सिखाता है,  जिससे सम्यक दर्शन प्राप्त होता है । सम्यक दर्शन वो भाव है जो आत्मा को कठोर तप त्याग की कुछ समय की यातना सहन करके परम आनंद मोक्ष को पाने का प्रथम मार्ग है।

श्री जैन ने बताया कि दिगम्बर जैन समाज के दस दिवसीय आत्मशुद्धि के पर्यूषण पर्व की आज से शुरूआत हो गई है। जिसमें आगामी 10 सितंबर तक जैन धर्मावलंबी तप, त्याग, संयम की साधना कर आत्म आराधना में लीन रहेंगे। नगर के चारों दिगम्बर जैन मंदिरों में पर्यूषण पर्व की तैयारियां पूरी हो गईं। जैन मंदिरों की भव्‍य साज-सज्‍जा की गई है। श्री दिगम्बर जैन समाज की ओर से महिला परिषद, महिला मंडल, श्री सुज्ञान जागृति मंडल शांतिनाथ चैत्यालय, श्री जैनम दिव्य घोष, बाबा श्री शांतिनाथ भक्त मंडल द्वारा जैन मंदिरों में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा।  संध्या काल में आरती ओर प्रवचन आयोजित किए जायेंगे।

आज श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन बड़े मंदिर खेड़ीपुरा में मूलनायक 1008 श्री शांति नाथ भगवान की प्रतिमा जी पर प्रथम का सौभाग्य संजय कठनेरा अमृतश्री परिवार को तो शांतिधारा का सौभाग्य पवन अंकित सिंघई परिवार को प्राप्त हुआ एवं पांडूशिला पर विराजमान श्रीजी के प्रथम कलश का सौभाग्य स्वासिक स्वदेश गंगवाल परिवार को एवं शांति धारा का सौभाग्य अशोक अभय बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ। दशलक्षण मंडल विधान पर मंगल कलश की स्थापना श्रीमती अनुलेखा सिंघई तथा चतुर्थ कलश की स्थापना का सौभाग्य सार्थक रपरिया, ऋषभ रपरिया, मुकेश बकेवरिया, सौरभ सिंघई, संजय पाटनी को प्राप्त हुआ।

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