महंगा होगा घर का सपना, 19 से 26 % तक महंगे हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट, क्रेडाई का ऐलान…

महंगा होगा घर का सपना, 19 से 26 % तक महंगे हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट, क्रेडाई का ऐलान…

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लोकमतचक्र.कॉम।

भोपाल : प्रदेश में अब मकान की चाह रखने वालों को अपनी जेब और ढीली करनी पड़ेगी। बिल्डरों की संस्था क्रेडाई ने संकेत दिया है आने वाले समय मकानों की कीमत में 19 से 26 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा जो अपने आशियाने तैयार करने का सपना संजोए हुए है। क्रेडाई के प्रवक्ता मनोज सिंह मीक ने बताया कि क्रेडाई देश भर के रियल स्टेट डेवलपर्स की अपेक्स बॉडी है। देश के सभी राज्यों और प्रमुख शहरों में 13000 से अधिक डेवलपर्स इस प्रतिष्ठित संस्था के सदस्य हैं जो प्रापर्टी ओनर्स, डेवलपर्स, उपभोक्ता और सरकार के बीच सेतु का दायित्व निभाते हैं।
क्रेडाई निरंतर नीति-नियमों की विसंगतियों से जूझकर समाधान हासिल करने की परंपरा देश-प्रदेश में गढ़ रहा है, इसमें प्रत्यक्ष या परोक्षत: सभी क्रेडाई सदस्यों का अहम योगदान है। मीक ने कहा कि वस्तुत: वित्तीय विपत्तियों में भी वरिष्ठ पदाधिकारी इन समाधानों हेतु सदैव अपना समय, ऊर्जा, संसाधन विशेष रूप से लगाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल वर्षों में बढ़ती महंगाई के कारण सबसे अधिक दुष्प्रभाव रियल स्टेट पर हुआ है। क्रेडाई के सदस्य लगातार निर्माण सामग्रियों की बढ़ती क़ीमतों से संगठन को अवगत करा रहे हैं। यूथ क्रेडाई भोपाल द्वारा नवंबर 2021 में किये गये तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार सन् 2019 के बाद भोपाल और आसपास निर्माण सामग्री के मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि हुई है जो अन्य राज्यों की तुलना में भी अधिक है।
डीज़ल व पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों, कुशल व अर्धकुशल मज़दूरों की कमी, लॉकडाउन कर्फ़्यू व कोविड के कुप्रभाव, ऊँची गाइडलाइन व स्टांप ड्यूटी और व्यापक विपरीत वित्तीय परिस्थितियों के चलते निर्माण लागत 19 से 26 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। लम्बे समय से रियायती क़ीमतों पर प्रापर्टी बेचने वाले डेवलपर्स के पास क़ीमतें बढ़ाने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा है।
आवश्यक अनुमतियों में लगने वाला समय लगातार बढ़ रहा है। खासकर रेरा में नवीनीकरण और नवीन अनुमतियों के प्रकरण लम्बित हैं। प्रतिदिन मंहगे होते बाजार में डेवलपर्स के पास नवीन परियोजनाओं की योजना बनाते समय कीमतें तय करना कठिन होता जा रहा है। रेरा अनुबंधित प्रापर्टी की क़ीमतें बढ़ाने की अनुमति नहीं देता है। जीएसटी की दरें उच्चतम हैं और इनपुट क्रेडिट टेक्स की विसंगतियाँ बरकरार हैं। ऐसे में क्रेडाई राज्य व केंद्र सरकार से अनुरोध कर रही है कि रियल स्टेट को रियायतें दी जाये ताकि बढ़ती क़ीमतों का अतिरिक्त बोझ ख़रीददार पर न पड़े तथा सबको किफ़ायती आवास का उद्देश्य पूरा हो सके।
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