काम के बोझ ओर मानसिक तनाव के चलते ब्रेन हेमरेज से महिला पटवारी का असमय निधन
पंचायत चुनाव के मद्देनजर प्रशासन चला रहा ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार अभियान
लोकमतचक्र.कॉम।
धार : पंचायत चुनाव के मद्देनजर सरकार की महत्वकांक्षा प्रदेश के पटवारियों के लिए घातक साबित हो रही है। लगातार अभियान ओर उसमें टारगेट, जिले को प्रदेश में टॉप में लाने के लिए कर्मचारियों को दिन रात काम के लिए मजबूर करना कर्मचारियों के लिए घातक हो गया है। ऐसे ही सरकारी कार्यों के दबाव तथा मानसिक तनाव के चलते गत दिनों ब्रेनहेमरेज का शिकार हुई एक महिला पटवारी का दुखद निधन हो गया है।
जिले की बदनावर तहसील में पदस्थ महिला पटवारी स्वाति बारगया लगातार चल रहे शासकीय अभियानों के टारगेट को लेकर काफी मानसिक तनाव में थी। पांच दिन पहले अभियानों के तहत काम समयसीमा में पूरा करने के दबाव को लेकर हल्के पर गई थी, जहां काम के दौरान उनके सिर में तीव्र दर्द हुआ जो लगातार बड़ रहा था तो वह जैसे तैसे लौटकर वापस घर आई ओर अपने परिचित डॉक्टर को रतलाम पहुंच कर दिखाया। लगातार मानसिक तनाव के चलते उन्हें ब्रेनहेमरेज हो गया। उन्हें मेडिकल कॉलेज रतलाम में भरा कर इलाज किया जा रहा था, वो पिछले पांच दिनों से वेंटिलेटर पर थी। कल रात इलाज के दौरान महिला पटवारी स्वाति का दुखद निधन हो गया। घटना की जानकारी मिलने पर जिले के पटवारियों में काफी आक्रोश व्याप्त है।
उल्लेखनीय है कि आगामी पंचायत चुनाव के मद्देनजर शासन द्वारा विगत 6 माह से विभिन्न अभियान चलाए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले इन अभियानों में आबादी भूमि के पट्टे वितरण से लेकर रिकॉर्ड शुद्धिकरण पखवाड़ा, फसल गिरदावरी, लोक सेवा गारंटी के तहत प्राप्त आवेदनों का निराकरण, सीएम हेल्पलाइन के साथ ही लघु सिंचाई योजना का कार्य समय सीमा में किए जाने का प्रदेश के पटवारियों पर अत्यधिक दबाव है। उक्त अभियानों में जिलों की रैंकिंग कर अभियान समयावधि में पूरा किए जाने का अत्यधिक दबाव अधिकारियों और कर्मचारियों पर बनाया जा रहा है, जिसमें मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पटवारियों पर कार्य का लगातार दबाव बना हुआ है जिसके चलते पटवारी बीमारियों से ग्रसित हो रहे है और इस तरह की घटना घटित हो रही है। जानकार लोगों का कहना है कि पंचायत चुनाव में सफलता हासिल करने के लिए सरकार लगातार ऐसे अभियान चला रही है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के प्रति सकारात्मक माहौल बने और जिसका फायदा सरकार को पंचायत चुनाव में मिले। हालांकि इससे शासकीय कर्मचारी अत्यधिक त्रस्त होकर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।