अमृतमयी है पुण्य सलिला माँ नर्मदा…

अमृतमयी है पुण्य सलिला माँ नर्मदा…

लोकमतचक्र.कॉम।

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माना जाता है कि पावन नर्मदा का जन्म भगवान शंकर के कण्ठ से हुआ है। और जन्म के बाद नर्मदा ने महेश्वर की कठिन तपस्या की। तथा पृथ्वी का महात्म की अधिकारिणी और अमृतमयी होने का वरदान पाया। पुण्य सलिला माँ नर्मदा को जीवनदायिनी भी कहा जाता है। नर्मदा का सौन्दर्य अनूठा है। यह कभी एक मासूम बालिका नजर आती है; तो कभी एक अल्हड़ किशोरी; तो कभी एक गम्भीर प्रौढ़ नजर आती है। कभी कवियों की काव्य प्रेरणा है और कभी चित्रकारों की रंगीन कल्पना है। यह योगी की अटूट साधना का केंद्र है; तो गृहस्थ की आजीविका का साधन।

नर्मदा सदैव अपने भक्तों पर अपनी ममता न्यौछावर करने को तत्पर रहती है। इसमें शामिल शीतल कण हवा में मिलकर दुलार भरी थपकियां देते है। इसकी चाल से कहीं दूर से आती सुरीली तान की ध्वनि का अहसास होता है।

● हरदा भी होता है धन्य 

यह पर्वत पुत्री अपने उद्गम स्थल से समुद्र तक की यात्रा में दुर्गम पहाड़ो की सीमा को चीरती हुई पश्चिम दिशा में विन्ध्याचल और सतपुड़ा के मध्य कछार को धन-धान्य करती हुई अरब सागर पहुँचती है। यह जब पहाड़ी सीमा को तोड़ती है तो इसका वेग देखते ही बनता है। और जब यह मैदानी सफर तय करती है तो इसकी आतुरता कम हो जाती है। नर्मदा का विस्तृत कछार ९८ हजार ७८६ किमी है। यह बीस जिलो मध्य प्रदेश के अनूपपुर; डिंडौरी; मण्डला; नरसिंहपुर; जबलपुर; सिवनी; होशंगाबाद; हरदा; खंडवा; खरगौन; बड़वानी; अलीराजपुर; धार; देवास; सीहोर; रायसेन के आलावा महाराष्ट्र के नंदुरबार और गुजरात के भङूच; नर्मदा तथा बड़ौदा से गुजरती है। (वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन की विशेष रिपोर्ट✍🏻)

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