पयूर्षण महापर्व : संयम से सरल, सहज और विनम्र की ओर ले जाता उत्तम मार्दव धर्म

पयूर्षण महापर्व : संयम से सरल, सहज और विनम्र की ओर ले जाता उत्तम मार्दव धर्म

उत्तम मार्दव धर्म

“अपने कुल, जाति, रूप, बुद्धि, तप, शास्त्र ज्ञान, चरित्र, धन और शक्तिसे युक्त होकर भी इन समस्त के विषय में समता भाव रखते हुए किंचित मात्र घमंड या मान नहीं करना ही उत्तम मार्दव धर्म है !” 

– परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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लोकमतचक्र डॉट कॉम।

हरदा : नगर के चारों जैन मंदिरों में दिगंबर जैन समाज के पयूर्षण महापर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म के लिए श्रवकों ने विधान पर पूजन की। श्री दिगंबर जैन समाज के महामंत्री राहुल जैन एवं कोषाध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि सभी जैन मंदिरों में विधिवत पूजन अर्चन व शांतिधारा अभिषेक किया गया। 

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खेड़ीपुरा स्थित बड़े जैन लाल मंदिर में पूजन के बाद आर्यिका 105 श्री सुबोधमति माताजी द्वारा  रोचक वृत्तांत के जरिए प्रवचन में उत्तम मार्दव धर्म के बारे में श्रृवकों को  बताया गया। उन्होंने बताया कि 84 लाख योनियों के बाद मनुष्य की योनी प्राप्त होती है। इसलिए सभी को धर्म ध्यान करके मोक्ष की ओर बढऩा चाहिए। उत्तम मार्दव धर्म मनुष्य को संयम से सरल, सहज व विनम्रता की ओर ले जाता है। घमंड को त्यागकर मानव को हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। 

सरल शब्दों में क्या है उत्तम मार्दव धर्म…?

ऊंच-नीच का भेद रहे ना, भाव यही निष्काम बनें, 

अटके-भटके पथराही को सुकून वाली शाम बनें; 

कौन यहाँ है, अजर-अमर सबका निश्चित अंत हुआ 

रावण वाला मान गला कर, मृदुता वाले ‘राम’ बनें।

पर्व के दूसरे दिन बड़े जैन लाल मंदिर में शांतिधारा का सौभाग्य अमृतश्री परिवार को प्राप्त हुआ। श्री पारसनाथ हरसूद वाले मंदिर में शांतिधारा का सौभाग्य विनोद अजमेरा परिवार एवं प्रथम कलश का सौभाग्य पंकज बसंत रपरिया परिवार को प्राप्त हुआ। श्री चंदा प्रभु जिनालय में शांति धारा का सौभाग्य आर के जैन नपा वाले एवं संभव सुरेंद्र जैन परिवार को प्राप्त हुआ।

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