पर्युषण पर्व : मन ,वचन, काय लक्षण योग की सरलता व कुटिलता का अभाव उत्तम आर्जव धर्म हैं – आर्यिका सुबोधमति माताजी

पर्युषण पर्व : मन ,वचन, काय लक्षण योग की सरलता व कुटिलता का अभाव उत्तम आर्जव धर्म हैं – आर्यिका सुबोधमति माताजी

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लोकमतचक्र डॉट कॉम।

हरदा : मन ,वचन ,काय लक्षण योग की सरलता व कुटिलता का अभाव उत्तम आर्जव धर्म हैं। जो विचार हृदय में स्थित हैं ,वही वचन में कहता हैं और वही बाहर फलता हैं ,यह आर्जव धर्म हैं। मन में से कपट दूर करने पर वह सरल होता हैं अर्थात मन की सरलता का नाम आर्जव हैं। उक्त बात आर्यिका सुबोधमति माताजी ने आज पर्युषण पर्व के तीसरे धर्म आर्जव धर्म के अवसर पर प्रवचन देते हुए कही। आर्यिका माताश्री ने कहा कि मन में हो सो वचन उचारिये , वचन होए तो ताम से करिए I अर्थात जो मन में वही हम  अपनी  वाणी से कहे और जो वाणी से बोले वही हम करे  तो सच्चा आर्जव धर्म होगा। माया हमारी चेतना को गठिया वात की तरह पंगु करने वाला विकार है। इसके रहते हम पवित्रता की तरफ कदम ही नही बढ़ा सकते। जिस प्रकार वात के रहते चोरासी प्रकार के रोग शरीर में हो जाते है उसी प्रकार माया के रहते चोरासी लाख  प्रकार की योनियों में भटकना पड़ता है। माया अविद्या की जन्म भूमी है , अपयश का घर , पाप की खाई , छल कपट इसके परिवार के बेटे है जो हमें सदा दुर्गति की तरफ की तरफ ठ्केलते है इन सभी को अंतर्मन से विदा कर देना ही आर्जव धर्म है । 

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उक्त जानकारी देते हुए श्री दिगंबर जैन समाज हरदा के उपाध्यक्ष विशाल जैन एवं कोषाध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि सभी पाप से दूर रहकर आर्जव धर्म को प्राप्त करे इन्ही शुभ भावो के साथ आज जैन समाज के लोगों ने आर्जव धर्म की पूजा की। बड़े जैन लाल मंदिर में आज पाण्डुकशिला पर श्रीजी की शांतिधारा का सौभाग्य राज आनंद रपरिया को प्राप्त हुआ। श्री पारसनाथ जैन मंदिर हरसूद में श्री जी की शांतिधारा का सौभाग्य मनोज बजाज एवं प्रथम कलश का सौभाग्य सचिन बकेवरिया को प्राप्त हुआ। संध्या काल में मंदिर जी में संगीत में तरीके से श्रीजी की आरती की गई तथा महिला परिषद द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए।

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