विजयादशमी के पावन पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पथ संचलन निकाला गया, सामाजिक संगठनों ने पुष्पवर्षा कर किया अभिनंदन

विजयादशमी के पावन पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पथ संचलन निकाला गया, सामाजिक संगठनों ने पुष्पवर्षा कर किया अभिनंदन

लोकमतचक्र डॉट कॉम।

हरदा। नगर में विजयादशमी के पावन पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पथ संचलन निकाला गया। शहर के रानी लक्ष्मीबाई ग्राउंड से संचलन प्रारंभ होते हुए नगर के मुख्य मार्गो पर निकलते हुए पुनः रानी लक्ष्मीबाई ग्राउंड पर आकर समापन हुआ। पथ संचलन  के दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों व महिलाओं द्वारा संचलन का स्वागत किया गया।

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कार्यक्रम के दौरान मंच पर जिले के  सह संघचालक नरेंद्र भांबू, नगर संघचालक घनश्यामदास सोमानी एवं प्रमुख वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक स्वप्निल उपस्थित थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए बताया  कि आज विजयादशमी के पावन पर्व हिंदू समाज के लिए गौरवान्वित करने वाला तो है परंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के लिए यह और अधिक गौरवान्वित एवं महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि 1925 में डॉक्टर साहब द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना विजयादशमी के  पावन पर्व के अवसर पर की गई थी। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक अपने आप को गणवेश पहन के गौरवान्वित महसूस करते हैं। समाज में भी उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, परंतु स्वयंसेवक को सिर्फ गणवेश पहनकर गौरवान्वित महसूस होने की बजाय समाज में अपने कार्यों से जाना जाना चाहिए, समाज उनके कार्यों से उनकी प्रशंसा करना चाहिए। समाज की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए काफी अलग सोच है। उन्होंने कहा की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के पूर्व पूरा विश्व मानता था कि हिंदू कभी एक नहीं हो सकता हिंदू को एक करना मेंढक को तराजू में  तोलने के समान है परंतु परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार जी द्वारा जब 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई उसके बाद अब समाज अपने को गर्व से हिंदू कहता है। भारत अखंड रहे इसलिए 1925 में डॉक्टर साहब द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई और हिंदुओं को एक करने का कार्य किया गया। 

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प्रांत प्रचारक ने कहा कि भारत भूमि वह भूमि है जिसमें अवतार लेने के लिए भी ईश्वर भी प्रतीक्षारत रहते हैं वह देव भूमि है जहां कई देवताओं ने अवतार लिए हैं। आज भारत विश्व गुरु बनने की तरफ अग्रसर है भारत का विश्व गुरु बनना इसका मतलब पूरे विश्व में शांति सद्भावना और भाईचारा है। आज पूरा विश्व में भारत को एक अलग नजरिए से देखता है, भारत के साथ जोड़ने के लिए लालायित रहता है।  भारत ने कभी अपने आप को विश्व नहीं कहा, परंतु विश्व में हमारी सनातन संस्कृति  हमारे विचार हमारे पुराण हमारे अध्यात्म को देखते हुए हमें विश्व गुरु मानता है। हिंदू समाज में कभी कोई आतंकवादी पैदा नहीं होता हिंदू समाज ने पूरे विश्व को डॉक्टर, इंजीनियर वैज्ञानिक दिए एवं विश्व में सृजन का कार्य किया है। आज पूरा विश्व हिंदू समाज की ओर लालायित भरी दृष्टि से देखता है। हिंदू समाज ने सदैव ही पूरी विश्व को एक करने का कार्य किया शांति सद्भावना का कार्य किया, सबके प्रति समभाव का काम किया। भगवान राम और कृष्ण या कोई भी अवतारी पुरुष अकेले कभी स्वयं कुछ नहीं किया इसके पीछे सदैव हर वर्ग हर धर्म हर जाति के लोगों का हाथ रहा, माता सीता के अपहरण के समय हर जाति हर प्राणी का सहयोग रहा ।

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