मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में परिवर्तन लाना चाहिए : आर्यिका सुबोधमति माताजी

मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में परिवर्तन लाना चाहिए : आर्यिका सुबोधमति माताजी

आर्यिकासंघ का हुआ पिच्छिका परिवर्तन, चातुर्मास का हुआ निष्ठापन, कल प्रात:काल होगा आर्यिका संघ का बिहार

लोकमतचक्र डॉट कॉम।

हरदा । नगर में चातुर्मासरत जैन आर्यिका 105 सरसमति माताजी ससंघ का पिच्छिका परिवर्तन कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें कलेक्टर ऋषि गर्ग एवं पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल के साथ ही टिमरनी, भोपाल, बानापुरा आदि स्थानों से आए जैन समाजजन शामिल हुए। ड्रोन की मदद से पिच्छिका को कार्यक्रम स्थल पर आकर्षक तरीके से लाया गया।  इस अवसर पर दोनों आर्यिकाश्री को वस्त्र भेंट एवं शास्त्र भेंट किए गए।

InCollage 20221026 200559854

जैन समाज के कोषाध्यक्ष राजीव रविंद्र जैन ने जानकारी देते  बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत नीता सिंघई के मंगलाचरण से हुई। विभिन्न स्थानों से आए आगंतुक अतिथियों ने आचार्यश्री के चित्रों का अनावरण किया। दीप प्रज्वलन कलेक्टर ऋषि गर्ग, पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल एवं जैन समाज के अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन ने किया। इस अवसर पर अतिथियों एवं चातुर्मास के दौरान उत्कृष्ट सहयोग करने वालों का सम्मान जैन समाज एवं चातुर्मास कमेटी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्र. अनिल जैन भोपाल ने किया। पंडित प्रदीप जैन ने मधुर भजनों की प्रस्तुति दी। मंगलाचरण नृत्य ईशा पाटनी एवं भव्या बजाज, पूर्णि बजाज ने प्रस्तुत किया। 

IMG 20221026 WA0359

IMG 20221026 WA0358

चातुर्मास के दौरान सेवा देने वाले और संयम नियम धारण करने वाले श्रद्धालुओं उषा बड़जात्या एवं महेंद्र अजमेरा को आर्यिका माताजी से पुरानी पिच्छिका लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वही माताजी को नवीन पिच्छिका का भेंट करने का सौभाग्य अजीत अभिषेक रपरिया एवं रविंद्र राजीव रपरिया परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर सरसमति माताजी को वस्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्रीमती राजश्री आनंद मोहन जैन महिला मंडल को एवं सुबोधमति माताजी को श्रीमती साधना सुरेन्द्र जैन परिवार को प्राप्त हुआ। वहीं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य अशोक राजकुमार बड़जात्या परिवार एवं महेंद्र अजमेरा परिवार को प्राप्त हुआ।

IMG 20221026 WA0339

IMG 20221026 WA0332

आर्यिका सुबोधमति जी ने कहा परमार्थ भाव से कमाया हुआ पुण्य मुक्ति का कारण बनता है। पिच्छिका का वजन तो कम होता है, लेकिन इसे धारण करने वाले का व्यक्तित्व बहुत भारी होता है। पिच्छिका रत्नत्रय का प्रतिक होती है और रत्नत्रय के धारी इसे धारण करते हैं। इसकी दण्डी सम्यक ज्ञान, पंख सम्यक चारित्र और डोरी सम्यक ज्ञान का प्रतिक माने जाते हैं। आर्यिकाश्री ने पिच्छिका के महत्व पर प्रकाश भी डाला।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आज इस पुरानी पिच्छिका का परिवर्तन हो रहा है, उसी प्रकार संसार भी परिवर्तनशील है। इसलिए मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में परिवर्तन लाना चाहिए। पिच्छिका संसार की विषय-वस्तुओं को बहुत हल्का कर देती है। माताजी ने कहा कि हमारे अच्छे और बुरे कार्य ही हमारे परिणामों का कारण बनते हैं। जीओ और जीने दो के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए जो कल्याण की भावना के साथ आगे बढ़ते हैं, उनका जीवन महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर जैन समाज की बालिका आर्टिस्ट कुमारी वाचना जैन का सम्मान भी समाज के द्वारा किया गया। गौरतलब है कि वाचना जैन ने गत दिवस भगवान हनुमान जी के चित्र को (बर्तना) लिखने वाली चाक से निर्मित किया था जिसे शहर के सभी लोगों द्वारा सराहा गया था। उक्त चित्र में 20 किलो चाक से 24 घंटे की मेहनत से वाचना जैन टीम ने तैयार किया था।

Scroll to Top