मोबाइल खरीदी के लिए पटवारियों को करोड़ों की राशि देने से कृषि योजनाओं के प्रभावित होने संबंधित समाचार का खंडन किया पटवारी संघ ने

मोबाइल खरीदी के लिए पटवारियों को करोड़ों की राशि देने से कृषि योजनाओं के प्रभावित होने संबंधित समाचार का किया खंडन पटवारी संघ ने

लोकमतचक्र डॉट कॉम।

भोपाल । मध्यप्रदेश पटवारी संघ के प्रांताध्यक्ष उपेंद्र सिंह बाघेल द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि विभिन्न दैनिक समाचार पत्रो के माध्यम प्रकाशित खबरों में यह उल्लेख किया गया कि, मोबाइल खरीदी के लिए पटवारियों को करोड़ों की राशि देने से कृषि योजनाएं प्रभावित हुई है। जिसका हम पुरजोर खंडन करते हैं।

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श्री बाघेल द्वारा बताया गया कि पटवारियों के कृषि संबंधित कार्यों को देखते हुए प्रदेश स्तर के उच्च अधिकारियों द्वारा लिए निर्णय अनुसार वर्ष 2018 में लगभग मात्र 7000 पटवारियों को स्मार्ट मोबाइल खरीदी हेतु 7300/- रूपये की न्यूनतम राशि प्रदाय की गई थी। जबकि वर्तमान मे लगभग 19000 पटवारी प्रदेश मे कार्यरत है। उक्त राशि न्यूनतम होने से क्रय स्मार्ट मोबाइल का स्तर भी काफी निम्न था । जो कि अपने निम्न स्तर एवं उसकी पांच वर्ष समायावधि पूर्ण होने से निष्क्रिय एवं कार्य योग्य नहीं रहे है। इसी प्रकार शेष रहे लगभग 12000 पटवारियों को आज तक मोबाइल राशि प्राप्त ना होकर स्वयं के साधनों से कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहे है। उक्त समाचार के माध्यम से इस कार्य हेतु बीस करोड़ की राशि का उल्लेख किया गया है। जो कि निश्चित रूप से असत्य और भ्रामक अथवा जांच योग्य विषय होगा। क्योंकि प्रदेश के लगभग सात हजार पटवारियों को 7300 मान से उक्त राशि का एक चौथाई भाग प्रदेश के पटवारियों को भुगतान किया गया है।

श्री बाघेल द्वारा बताया गया कि अगर पटवारियों एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों के कार्यों एवं क्षेत्र में सक्रियता को लेकर तुलना करना ही बेमानी होगी। पटवारी अपने कार्यों एवं सक्रियता के कारण ही प्रशासन के रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। जिसे ग्राम के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक जानता पहचानता है।

पटवारियों के जिम्में कृषि विभाग के ये भी काम है –

श्री बाघेल द्वारा बताया कि पटवारी सिर्फ राजस्व ही नहीं अपितु 56 विभागों की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी एवं उनसे संबंधित कार्यों का निर्वहन करता है। कृषि विभाग से संबंधित फसल प्रयोग, विभिन्न मौसमी फसलो की जानकारी का डाटा, कृषि क्षेत्र, सिंचित क्षेत्र, सिंचाई के साधनों तथा रबी खरीफ की गिरदावरी संबंधित समस्त कृषि आंकडो का संपादन पटवारी करता है। जो कृषि विभाग के पास उपलब्ध ना होकर पटवारियों पर आश्रित रहता है। इसी प्रकार कृषि विभाग की पंचवर्षीय योजना जैसे कृषि संगणना, लघु सिंचाई संगणना व अन्य कई योजनाओं का कार्य सिर्फ पटवारी द्वारा ही संपादित किया जाता है। जिसके आधार पर कृषि विभाग अपनी योजनाओं का संपादन कर पुरुस्कृत होता है। जबकि इसके विपरित कृषि विभाग द्वारा पटवारियों को विगत दो कृषि संगणना 2010-11 तथा 2015-16 के कार्यों के पारिश्रमिक की मानदेय राशि का विगत दस वर्षों से भुगतान नहीं किया गया है। जो कि प्रदेश के पटवारियों का आर्थिक शोषण है। जब पटवारियों द्वारा कृषि विभाग से संबंधित इतने अधिक कार्यों एवं उनकी विभिन्न योजनाओं के दायित्वों का क्रियान्वयन किया जा रहा है, तो यह कहना औचित्यहीन होगा की पटवारियों को मोबाइल प्रदान करने से कृषि योजनाएं प्रभावित हुई है।

श्री बाघेल द्वारा में यह बताया कि उक्त वक्तव्य के माध्यम से उनका ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों के कार्यों की तुलना एवं उनकी भावनाओं को आहत करने का मकसद नहीं है। क्योंकि दोनों विभाग पृथक पृथक होकर उनके कार्यो की समीक्षा उनका खुद का विभाग करता है। किंतु समाचार पत्र में पटवारियों के मोबाइल क्रय राशि की वजह से कृषि योजनाओं के प्रभावित होने संबंधित असत्य, भ्रामक एवं गलत तथ्यों के प्रस्तुतीकरण का खंडन करना है। हमारा उद्देश्य मात्र पटवारियों का पक्ष सही प्रस्तुति कर, आमजन को सत्य एवं वास्तविक आंकड़ो की जानकारी से परिचित कराना है।

श्री बाघेल द्वारा अंत में बताया गया कि उनके द्वारा ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों के कार्यो प्रति कोई प्रतिकूल टीका टिप्पणी नहीं की गई है। उनके बयान को समाचार पत्रों मे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। जिसका मैं खंडन करता हू। प्रदेश के समस्त पटवारियों से अपील करता हू कि उक्त खबरो को लेकर किसी प्रकार से आक्रोशित ना होकर आपसी सामंजस्य स्थापित बनाए रखे। इस संबंध मे ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोहर गिरीजी से बात होकर इस विवाद का पटाक्षेप हो चुका है। दोनों पक्ष कर्मचारी हितो मे सयंम बनाए रखे।

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