अब अवैध कालोनियों में दिए जा सकेंगे बिल्डिंग परमिशन, नल-जल कनेक्शन

अब अवैध कालोनियों में दिए जा सकेंगे बिल्डिंग परमिशन, नल-जल कनेक्शन

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लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। प्रदेश में अब अवैध कालोनियों में रहने वाले लोगों को बिल्डिंग परमिशन, नल जल कनेक्शन और अन्य तरह की एनओसी के साथ रहवासी सुविधाएं दिए जाने की तैयारी है। नगरीय विकास और आवास विभाग ने नगर पालिक अधिनियम में संशोधन के जरिये इसके लिए प्रावधान किए हैं जिसके आदेश जल्द ही जारी होने वाले हैं। इसमें यह व्यवस्था की जा रही है कि अवैध कालोनी के ले आउट के प्रारूप प्रकाशन के बाद वहां सुविधाएं दिए जाने का काम शुरू किया जा सकेगा।

नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया में नियमों के सरलीकरण के लिए ऐसा फैसला किया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी अवैध कालोनी में नागरिक सुविधाएं दिए जाने से लिए अभिविन्यास (ले आउट) के अभिविन्यास (ले आउट) के आधार पर योजना तैयार की जाएगी। इसमें नागरिक सुविधाएं दिए जाने में आने वाले खर्च के साथ विकास कार्य पूरे करने की टाइम लिमिट का उल्लेख किया जाएगा। विकास कार्यों के लिए प्रति वर्गमीटर लगने वाले विकास शुल्क की जानकारी देने और आवंटित नहीं हुए भूखंडों व भवनों के विक्रय के लिए तय मापदंडों का उल्लेख किया जाएगा। इससे संबंधित जानकारी का ले आउट प्रारूप प्रकाशित होने के बाद नगरीय निकाय संबंधित कालोनी में एनओसी जारी करने और सुविधाएं देने का काम कर सकेंगे।इस आधार पर इन कालोनियों में रहवासी संघ के गठन की भी सहमति दी जा रही है।

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विधायक निधि से भी हो सकेंगे काम

ऐसी कालोनियों में अब केंद्र और राज्य सरकार द्वारा घोषित योजनाओं में मिलने वाले फंड से भी विकास कार्य कराए जा सकेंगे। सांसदों और विधायकों की निधि का उपयोग भी यहां किया जा सकेगा। इसके लिए ऐसा कोई बंधन नहीं रहेगा कि विकास शुल्क की पूरी राशि जमा हो तभी सांसद-विधायक निधि से काम कराए जा सकेंगे। गौरतलब है कि नगरीय क्षेत्र में अवैध कालोनियों को वैध करने की कवायद 2002 से चल रही है ।

एक माह पहले मांगे थे दावे आपत्ति

इसको लेकर नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा एक माह पहले दावे आपत्ति मांगे गए थे। इसमें कहा गया था कि ऐसी कालोनियों में विकास शुल्क की कुल राशि में से 20 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के रहवासियों से और 50 प्रतिशत अन्य रहवासियों से ली जाएगी। यहां विकास शुल्क जमा करने की तारीख सक्षम अधिकारी तय करेगा। यह राशि जैसे-जैसे जमा होती जाएगी वैसे ही सुविधाओं का विस्तार करने का काम नगरीय निकाय कर सकेंगे।

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