यह भी चैरिटी(charity) है…, करके देखो अच्छा लगेगा…

यह भी चैरिटी(charity) है…, करके देखो अच्छा लगेगा…

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लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

दो दिन से ड्राइवर न होने के कारण मेट्रो द्वारा ड्यूटी पर जाने का मौका मिल रहा है। सुबह की सबसे बड़ी समस्या कि मेट्रो स्टेशन तक कैसे जाया जाए? घर से बाहर निकलते ही गाड़ी में बैठ जाने की आदत ने शायद शरीर के भीतर एक सुस्ती सी भर दी थी। आज ज्यों ही बाहर सड़क पर कदम रखा तो एक सुहाने से मौसम का एहसास तन मन को रोमांचित कर गया। 

निगाहें किसी ऑटो रिक्शा को खोज रही थी तभी सड़क के किनारे एक दुबला पतला व्यक्ति जो रिक्शा पर लेटा हुआ था मुझे देखकर सचेत हो गया । शायद उसको लगा कि  मेरी पहली बोहनी हो जाएगी। परंतु चेहरे पर एक निराशा के भाव भी थे क्योंकि अक्सर लोग पैसे बचाने के लिए शेयर करके ई रिक्शा द्वारा जाना पसंद करते हैं। मैंने दिमाग लगाया कि रोज गाड़ी की सीएनजी एवं ड्राइवर की तनख्वाह की तुलना में रिक्शा के पैसे ज्यादा महंगे नहीं हैं। और मैं रिक्शा की ओर बढ़ गया  उसने जायज पैसों की मांग की ।शायद मन के भीतर यह डर भी था कि ज्यादा पैसे बोलने से कहीं सवारी हाथ से न निकल जाए। घर से मेट्रो स्टेशन तक का किराया 40 रुपए है। सुबह सुबह के टाइम  ठंडी हवा और आसपास हरे भरे पेड़ एवं गीली सी सड़क पर दौड़ती रिक्शा एक अलग ही ताजगी का एहसास करवा रही थी। ऐसा लगा कि न जाने कितने बरसों बाद प्रकृति का आनंद लेने का अवसर प्राप्त हुआ है। जो बंद गाड़ियों में स्क्रीन लगे शीशों में नहीं मिलता। 

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स्टेशन पर पहुंच कर मैंने 50 रुपए का नोट आगे बढ़ाया तो उसने अपने फटे कमीज की मैली सी जेब के अंदर हाथ डालकर देखा और कहने लगा कि सर जी10 रुपए छुट्टे नहीं है। जब मैंने कहा कि  कोई बात नहीं रख लो फिर कभी मुझे ले आना। यह कहकर मैं मेट्रो की सीढ़ियां चढ़ गया  । मैंने देखा दूर सड़क के किनारे कुछ  फूल खिल रहे थे और वैसी ही ताजगी उस रिक्शा वाले के चेहरे पर थी। शायद 10 रुपए का बोनस उसको एक अलग सी मुस्कान दे गया था। उसने कृतज्ञता भरी निगाहों से मुझे देखा और तेजी से रिक्शा भगा कर चला गया।

मुझे लगता है कि अच्छे परोपकारी काम किसी संस्था अथवा राजनीति के मोहताज नहीं होते। ईश्वर को खुश करने के लिए हमें शायद सन्यास की भी आवश्यकता या प्रवचन सुनने की जरूरत नहीं है आसपास के जरूरतमंद लोगों की मदद करना ईश्वर को प्रसन्न कर सकता है और यह एक बहुत बड़ी चैरिटी है जो हम रोज अपने क्रियाकलापों के माध्यम से कर सकते हैं । हर व्यक्ति अपने आप में एक बहुत बड़ी संस्था है जो किसी का जीवन छोटी-छोटी खुशियों से बदल सकता है ।

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