शिवराज का दर्द जुबान पर आया, बोले कभी कभी राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है…

शिवराज का दर्द जुबान पर आया, बोले कभी कभी राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है…

शिवराज ने अपने नये ठिकाने का रखा ये नाम…

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लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दर्द अंततः झलक ही गया । शिवराज ने कहा, कहीं कोई बड़ा उद्देश्य होगा यार.. कई बार राजतिलक होते-होते वनवास भी हो जाता है, लेकिन जरूर किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है। शिवराज ने यह बात मंगलवार को बुधनी के शाहगंज में भाजपा कार्यकर्ताओं से कही। उनकी बातें सुनकर लाड़ली बहनें गले लगकर रो पड़ीं। शिवराज ने कहा, मुख्यमंत्री के पद तो आ-जा सकते हैं, लेकिन मामा और भाई का पद कभी कोई नहीं छीन सकता। 

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शिवराज बोले, चिंता मत करना, मेरी जिंदगी आपके लिए, जनता जनार्दन के लिए, मेरी बहनों के लिए हैं, मेरे बेटे-बेटियों के लिए है। इस धरती पर इसलिए आया हूं कि तुम्हारी जिंदगी में कोई तकलीफ नहीं रहने दूंगा। तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल स्थित अपने बंगले पर ‘मामा का घर’ लिखवा लिया है। उन्होंने कहा कि आपसे भैया और मामा की तरह ही जुड़ा रहूंगा। जब भी मेरी याद आए, निःसंकोच घर पधारिये।

कहा- सभी योजनाएं जारी रहेंगी

पूर्व सीएम शिवराज ने कहा, मैं बहुत गंभीरता से कह रहा हूं, तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाऊंगा। क्या इतने छोटे बच्चे कभी सभा में आते हैं? ये अपने मामा के लिए आए हैं। बहनों की योजनाएं भी जारी रहेंगी और भांजे-भांजियों के कल्याण में भी कोई कसर नहीं रहेगी। चाहे गरीब हो, किसान हो… हमने जो कहा है वो करेंगे। लाड़ली बहना के लिए जो कहा है वो करेंगे। सरकार बीजेपी की है, कांग्रेस की थोड़ी है।

शिवराज ने कहा, सरकार काम करेगी। लाड़ली बहनों के साथ-साथ लाड़ली बहना आवास योजना, प्रत्येक परिवार एक रोजगार जैसी योजनाओं को सरकार आगे बढ़ाएगी। किसानों के लिए जो वचन दिए, वो भी पूरे होंगे।

शिवराज ने अपने बंगले पर लिखवाया ‘मामा का घर’

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल स्थित अपने निवास का नाम ‘मामा का घर’ रख दिया है। उन्होंने कहा कि अभी हमारा पता है, बी-8, 74 बंगला; उसका नाम हमने रख दिया, मामा का घर। शिवराज ने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘मेरे प्यारे बहनों भाइयों और भांजे-भांजियों, आप सबसे मेरा रिश्ता प्रेम, विश्वास और अपनत्व का है। पता बदल गया है, लेकिन ‘मामा का घर’ तो मामा का घर है। आपसे भैया और मामा की तरह ही जुड़ा रहूंगा। मेरे घर के दरवाजे सदैव आपके लिए खुले रहेंगे। आपको जब भी मेरी याद आए या मेरी जरूरत हो, निःसंकोच घर पधारिये। आखिर यह आपके मामा और भैया का घर जो है।’

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