गलत हाथों में पड़ जाती तो लड़कीयों का जीवन हो जाता बर्बाद, समाजसेवी किशोर राठौर की पहल की सराहना
– सुनील जैन ✍️
मध्यप्रदेश के हरदा जिले के खिरकिया में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें संवेदनाहीन रेल्वे पुलिस ने दो नाबालिग बहनें आंचल (लगभग 15 वर्ष) और हंसिका (लगभग 10 वर्ष) जो पुणे से उत्तर प्रदेश के बस्ती बिना टिकट जा रही थी, उन्हें जीआरपी ने खिरकिया उतार दिया। बच्चियां भ्रमित होकर भूख प्यास से बेहाल नगर में भटक रही थीं। तभी मानवता और जिम्मेदारी की एक मिसाल पेश करते हुए, खिरकिया रेलवे स्टेशन पर भटक रही दो नाबालिग बच्चियों को सामाजिक कार्यकर्ता किशोर राठौर ने सहारा दिया और उन्हें सुरक्षित रूप से पुलिस के सुपुर्द किया।
शुक्रवार सुबह स्टेशन पर दो नाबालिग बहनें आंचल (लगभग 15 वर्ष) और हंसिका (लगभग 10 वर्ष) भटकती हुई पाई गई, जो पुणे से उत्तर प्रदेश के बस्ती बिना टिकट जा रही थी, उन्हें जीआरपी ने खिरकिया उतार दिया। दोनों बहनें स्टेशन पर भ्रमित होकर खिरकिया बाजार की ओर पहुंच गईं और लोगों से खाने की मांग कर रही थीं। बच्चियों को अकेला और भ्रमित देखकर चारुवा निवासी डॉ जितेंद्र सोनी ने सामाजिक कार्यकर्ता किशोर राठौर को उनके भटकने की सूचना दी।
दीपावली पर घरेलू और व्यवसायिक व्यस्तता के बावजूद बिना देर किए, श्री राठौर तुरंत स्टेशन पहुंचे और बच्चियों को अपने साथ लिया। सबसे पहले, उन्होंने सुनिश्चित किया कि बच्चियों को पर्याप्त भोजन मिले। इसके बाद, उन्होंने थाने जाकर पुलिस से संपर्क किया और दोनों नाबालिगों को उनकी जानकारी जुटाने और परिवार से मिलाने की कार्यवाही के लिए पुलिस के हवाले कर दिया। टीआई संतोष चौहान एवं हेड कॉन्स्टेबल नीरज साहू ने दोनों बच्चियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए परिजनों से संपर्क साधने और उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाने की प्रक्रिया प्रारंभ की। पुलिस अब बच्चियों से उनके परिवार और यात्रा की पूरी जानकारी जुटाने में लगी है।
किशोर राठौर के इस त्वरित और मानवीय कार्य की सभी ओर सराहना हो रही है। उनके इस कदम ने यह साबित कर दिया है कि समाज में सक्रिय और संवेदनशील नागरिक ही मुश्किल में फंसे लोगों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद होते हैं। किशोर राठौर का यह कार्य दूसरों के लिए भी प्रेरणा है कि वे जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।
















