भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिवनी लूट मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। सिवनी एसडीओपी पूजा पांडे सहित 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। इनमें से 5 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। इसमें एसडीओपी सिवनी पूजा पांडे, एसआई अर्पित भैरम, कॉन्सटेबल योगेंद्र, नीरज और जगदीश शामिल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखना, अपराध मुक्त वातावरण बनाना और नागरिकों की सुरक्षा पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों का मुख्य दायित्व है। अपने कर्तव्यों से हटकर कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को राज्य सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिवनी प्रकरण में जो भी दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ कानूनी कार्रवाई भी होगी। प्रदेश में कानून सबके लिए बराबर है। कानून का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई भी हो। राज्य सरकार प्रदेश में सुशासन स्थापित करने सतत रूप से कार्य कर रही हैं, इस दिशा में किसी का हस्तक्षेप सहन नहीं होगा।
ये भी हैं आरोपी
सिवनी मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 310(2) डकैती, 126(2) गलत तरीके से रोकना, 140(3) अपहरण और 61(2) आपराधिक षडयंत्र के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तार किये गये 5 अधिकारी एवं कर्मचारियों के अलावा जिनके विरूद्ध एफआईआर दर्ज की गई, उनमें प्रधान आरक्षक माखन, प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला, प्रधान आरक्षक रविंद्र उईके, आरक्षक रितेश वर्मा, एसएएफ आरक्षक केदार और एसएएफ आरक्षक सुभाष सदाफल शामिल हैं।
यह है मामला
मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में 8 अक्टूबर की रात सीलादेही फोरलेन पर चैकिंग के दौरान एक जीप (एमएच 13 ईके 3430) को रोका गया था। वाहन में महाराष्ट्र के जालना जिले के सोना-चांदी व्यापारी सोहनलाल परमार के 1.45 करोड़ रुपये रखे थे। वाहन के ड्राइवर और सहयोगी कटनी से जालना जा रहे थे। बताया जाता है कि चैकिंग के दौरान पुलिसकर्मियों ने वाहन से रकम जब्त की, लेकिन न तो विधिवत जब्ती बनाई गई और न ही इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई।
सूत्रों के अनुसार, रकम मिलने के बाद पुलिसकर्मियों ने ड्राइवर और उसके साथी से मारपीट कर उन्हें भगा दिया और पूरी राशि अपने कब्जे में रख ली। अगले दिन सुबह तक यह मामला दबाने का प्रयास किया गया। जब व्यापारी और उसके सहयोगी सिवनी कोतवाली पहुंचे तो उन्हें एसडीओपी कार्यालय बुलाकर प्रकरण को रफा-दफा करने की कोशिश की गई।
मामले की जानकारी जबलपुर और भोपाल के उच्च अधिकारियों तक पहुंचते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। जबलपुर रेंज आईजी प्रमोद वर्मा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नौ पुलिसकर्मियों — जिनमें बंडोल थाना प्रभारी और उपनिरीक्षक अर्पित भैरम शामिल हैं — को निलंबित किया था । इसके बाद 10 अक्टूबर को डीजीपी कैलाश मकवाना ने एसडीओपी पूजा पांडे को भी निलंबित कर पुलिस मुख्यालय भोपाल अटैच कर दिया।
सूत्रो के मुताबिक पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मेहता ने बताया कि जब्त की गई रकम की वैधता और वास्तविक स्वामित्व की जांच की जा रही है। फरियादी ने अपनी शिकायत में कुल 2 करोड़ 96 लाख 50 हजार रुपये होने का उल्लेख किया है। यह प्रकरण पुलिस की छवि पर गंभीर सवाल खड़े करता है, और विभाग अब इसे पूरी पारदर्शिता से जांचने का दावा कर रहा है।










