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विद्यासागर कॉलेज में शरद पूर्णिमा महोत्सव एवं आचार्य विद्यासागर जी महाराज जन्मोत्सव का भव्य आयोजन

खातेगांव। विद्यासागर कॉलेज में शरद पूर्णिमा महोत्सव एवं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम में आचार्य श्री के जीवन, आदर्शों और शिक्षाओं पर आधारित वक्तव्यों ने सभी को गहराई से प्रभावित किया।

कॉलेज के डायरेक्टर श्री आलोक जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने समाज में शिक्षा, सेवा और संस्कारों का प्रकाश फैलाया है। उन्होंने विद्यार्थियों से आचार्य श्री के आदर्शों को जीवन में अपनाने का आग्रह किया।

श्री जैन ने बताया कि आचार्य श्री का जीवन जनकल्याण और आत्मसाधना का अद्भुत संगम रहा है। उन्होंने समाजहित में अनेक प्रकल्पों का सृजन किया —

प्रतिभास्थली विद्यालयों के माध्यम से बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहन दिया,जेलों में बंद कैदियों के पुनर्वास हेतु हथकरघा उद्योग प्रारंभ किए,सर्वजन के स्वास्थ्य हेतु पूर्णायु चिकित्सालय की स्थापना कराई,तथा देशभर में 3000 से अधिक गौशालाओं को प्रेरणा दी।

उन्होंने कहा कि आचार्य श्री ने गुरु-शिष्य परंपरा को उत्कृष्ट रूप से निभाते हुए अपने मार्ग पर चलते हुए 300 से अधिक मुनि=आर्यिका दीक्षाएँ प्रदान कीं।अपने गुरु ज्ञानसागर जी महाराज के प्रति समर्पित रहकर उन्होंने साधना को सर्वोच्च स्तर तक पहुँचाया।

श्री जैन ने स्मरण करते हुए कहा कि वर्ष 2017 में खातेगांव में आचार्य श्री का दीर्घ प्रवास हुआ था, जिससे नगर के सभी निवासियों को उनके सान्निध्य और आशीर्वाद का सौभाग्य प्राप्त हुआ।उन्होंने नेमावर स्थित एशिया के सबसे बड़े जिन मंदिरों के निर्माण में अपने पवित्र आशीर्वाद प्रदान किया।

उन्होंने आगे कहा कि आचार्य श्री का अनुशासन, साहित्य सृजन और विचारशीलता अद्वितीय है।जापानी शैली के हाइकु के माध्यम से

आचार्य श्री समाज को सचेत करते हुए कहा करते थे —

“तेरी दो आँखें, तेरी ओर, हजार,सतर्क हो जा।”

ऐसी अनेक सूक्तियों से वे मनुष्य को आत्मावलोकन की प्रेरणा देते थे।

श्री जैन ने कहा कि आचार्य श्री का योगदान नई शिक्षा नीति के निर्माण में भी उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने सदैव इस बात पर बल दिया कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए, और आज यह विचार नई शिक्षा नीति में साकार रूप ले चुका है।कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने आचार्य श्री के चित्र के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।

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