MP में अब साइबर तहसील में ऑटो रजिस्टर होंगी रजिस्ट्री : नियमों में बदलाव के बाद रेवेन्यू के पास होगा रिकॉर्ड, फ्रॉड से बचेंगे लोग, नए बदलाव के बाद अब ऐसा होगा सिस्टम
लोकमतचक्र डॉट कॉम।
भोपाल। MP में अब रजिस्ट्री का हर रिकार्ड राजस्व विभाग के पास मौजूद रहेगा। यह रिकार्ड भूमि और भवन की रजिस्ट्री के बाद ऑटो सिस्टम से साइबर तहसील और फिर संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार के पास पहुंच जाएगा। इस व्यवस्था के बाद एक ही भूखंड को नामांतरण कराए बार-बार बेचने का खुलासा हो जाएगा, और लोग भूमि संबंधी फ्रॉड का शिकार होने से बच सकेंगे।
अब तक यह व्यवस्था है प्रभावी
साइबर तहसील में आने वाले प्रकरणों को लेकर अब तक जो व्यवस्था प्रभावी है। उसके अनुसार सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में रजिस्ट्री होने के बाद सिर्फ ऐसे रजिस्ट्री के मामले साइबर तहसील में आते थे जिसमें किसी तरह के विवाद की स्थिति नहीं है और बिका हुआ भूखंड या भवन बड़े रकबे के रूप में है। उसमें किसी तरह के बंटवारे की स्थिति नहीं है।
अब नई व्यवस्था में न सिर्फ गैर विवादित बड़े रकबे या बगैर बंटान वाले नामांतरण के प्रकरण तो साइबर तहसील में आएंगे ही, साथ ही ऐसे सभी मामले भी साइबर तहसील में ही आएंगे जो विवादित या बंटान वाले हैं, और उसकी रजिस्ट्री हो गई है। यानी अब कोई भी रजिस्ट्री होगी तो उसका प्रकरण सीधे ऑटो मोड में नामांतरण के लिए साइबर तहसील के लिए ट्रांसफर हो जाएगा।
नए बदलाव के बाद अब ऐसा होगा सिस्टम
साइबर तहसील नियमों में किए गए बदलाव के बाद अब सारे प्रकरण रजिस्ट्री के बाद साइबर तहसील में नामांतरण के लिए ट्रांसफर होंगे। यहां ऑटो मोड पर इन सभी रजिस्ट्री को एक कम्प्यूटर जनरेटेड नंबर अलाट हो जाएगा। इस नंबर में गैर बंटान वाले या गैर विवादित बड़े रकबे वाले खसरा नंबर की रजिस्ट्री के मामले साइबर तहसील के लिए सिलेक्ट हो जाएंगे, और बाकी मामले संबंधित क्षेत्र के तहसीलदारों के लिए रजिस्टर्ड हो जाएंगे।
चूंकि साइबर तहसील की पूरी प्रक्रिया राजस्व विभाग की आरसीएमएस (रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम) से जुड़ी है। इसलिए आरसीएमएस के माध्यम से ऐसे बंटान वाले छोटे भूखंड व भवन बिक्री के केस संबंधित क्षेत्र के तहसीलदारों को ट्रांसफर हो जाएंगे। संबंधित तहसीलदार को केस ओपन कर संबंधित भूमि के पक्षकारों को इलेक्ट्रॉनिक एसएमएस भेजे जाकर सुनवाई के बाद नामांतरण किया जाएगा।
रजिस्ट्री किधर गई, उसका हिसाब रहेगा
अभी तक कई मामलों में ऐसा होता है कि भूमि खरीदी बिक्री करने वाले लोग रजिस्ट्री तो करा लेते थे, लेकिन नामांतरण नहीं कराते थे। ऐसे में सभी तहसीलों में भूमि या भवन के बिकने की जानकारी तभी मिलती थी जब संबंधित खरीददार या विक्रेता की ओर से नामांतरण के लिए अलग से आवेदन किया जाता था।
दरअसल, राजस्व विभाग के पास अक्सर ऐसे मामले आते हैं कि जिसमें भूमि की एक बार रजिस्ट्री होने के बाद नामांतरण कराए बगैर माफिया गिरी में लिप्त बिचौलिए दोबारा या अधिक बार उसे बेच देते हैं। इससे दिक्कत उसे होती है। जिसके द्वारा रजिस्ट्री कराई गई है चाहे वह पहली रजिस्ट्री कराने वाला हो या बाद में रजिस्ट्री कराने वाला खरीददार हो।
इन्हें जबरन अपनी के मालिकाना हक के लिए कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं। अब ऐसा नहीं हो सकेगा, एक बार रजिस्ट्री हो गई तो वह किधर गई है, इसका हिसाब सरकार के पास रहेगा। अब तहसीलदार के यहां जाने पर रजिस्ट्री तहसीलदार की भी जानकारी में आ जाएगी।
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