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आज से शुरू होगा महावीर निर्वाण संवत 2552

महावीर निर्वाण संवतः भारत के काल गणना में सबसे प्राचीन संवत, अन्य प्रचलित संवतों का भी महत्व

सुनील कुमार जैन, खिरकिया

भारतीय कालगणना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण (मोक्ष) के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले महावीर निर्वाण संवत का 2552वाँ वर्ष आज कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो जाएगा। यह संवत न केवल जैन समुदाय के लिए धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसे भारत में प्रचलित सभी शक संवतों में सबसे प्राचीन माना जाता है, जो भारतीय काल गणना की समृद्ध विरासत का प्रतीक है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, महावीर निर्वाण संवत की शुरुआत भगवान महावीर के निर्वाण के ठीक अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (दिवाली के अगले दिन) से हुई थी, जिसका आरंभ काल 527 ईसा पूर्व माना जाता है। इस तरह, यह वर्तमान में उपयोग में लाए जा रहे कई अन्य संवतों से भी पहले का है। महावीर निर्वाण संवत की प्राचीनता यह दर्शाती है कि भारत में काल गणना की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और विभिन्न धर्मों तथा शासकों ने समय-समय पर अपने महत्वपूर्ण कालखंडों को संवत के रूप में स्थापित किया है। यह विविधता भारतीय संस्कृति की गहराई और ऐतिहासिक चेतना को दर्शाती है।

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से महावीर निर्वाण संवत 2552 के प्रारंभ के साथ, जैन समुदाय उत्साह के साथ नव वर्ष का स्वागत करेगा, जो धार्मिक परंपराओं और इतिहास के प्रति आस्था को और मजबूत करता है।

प्रचलित प्रमुख भारतीय संवत और उनकी प्राचीनताः-

भारतीय उपमहाद्वीप में कई संवत (कैलेंडर युग) प्रचलित हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। महावीर निर्वाण संवत की प्राचीनता को देखते हुए, अन्य प्रमुख संवतों की तुलना इस प्रकार है :महावीर निर्वाण संवत 527 ईसा पूर्व भगवान महावीर के निर्वाण से आरंभ। जैन धर्म में सर्वाधिक प्रचलित और सबसे प्राचीन संवत ।

विक्रम संवत 57 ईसा पूर्व राजा विक्रमादित्य से संबंधित माना जाता है। यह उत्तरी भारत सहित कई क्षेत्रों में धार्मिक और पारंपरिक गणनाओं के लिए सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।

शक संवत (राष्ट्रीय संवत) 78 ईस्वी भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है, जिसे भारत सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से अपनाया गया है। इसका उपयोग पंचांग और शासकीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि इसकी शुरुआत कुषाण राजा कनिष्क या क्षत्रप चेष्टन से हुई थी।

ईस्वी संवत (ग्रेगोरियन कैलेंडर) 1 ईस्वी, पश्चिमी देशों द्वारा अपनाया गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित संवत। भारत में भी आधिकारिक और वाणिज्यिक कार्यों में इसका व्यापक उपयोग होता है।

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