हरदा। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की आय को सुरक्षित करने हेतु शुरू की गई भावांतर योजना को लेकर जमना जैसानी फाउंडेशन के सदस्य शांति कुमार जैसानी ने बड़ा सुझाव देते हुए कहा है कि इस योजना में किसानों की जगह व्यापारियों का पंजीयन किया जाए।
जैसानी का मानना है कि वर्तमान प्रक्रिया में जहां किसानों को सीधे भावांतर राशि प्रदान की जाती है, उसमें कई प्रकार की व्यावहारिक चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा कि मंडियों में व्यापारी ही किसानों से फसल की खरीद करता है और मंडी के पास प्रत्येक व्यापारी का पूरा डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध होता है। इसमें यह विवरण भी रहता है कि किस व्यापारी ने किस दिन, किससे, कितनी मात्रा में और किस रेट पर फसल खरीदी है।
प्रशासनिक जटिलताओं से मिलेगी मुक्ति
जैसानी ने बताया कि प्रदेश में लाखों की संख्या में छोटे व सीमांत किसान हैं, जिनकी फसलें 1 क्विंटल से लेकर 200 क्विंटल तक की मात्रा में बिकती हैं। ऐसे में प्रत्येक किसान का पंजीयन करना, उनकी उपज का सत्यापन करना, फिर उनको समय पर भुगतान करना, यह सब प्रशासनिक रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण और खर्चीला है।
इसके विपरीत, प्रदेश की प्रत्येक मंडी में कुछ सौ या हजार व्यापारी ही सक्रिय हैं। यदि इन व्यापारियों का पंजीयन किया जाए और उनके माध्यम से ही किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का भुगतान किया जाए, तो सरकार की व्यवस्था अधिक संगठित, पारदर्शी और जवाबदेह बन सकती है।
व्यापारियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा समय पर लाभ
जैसानी ने सुझाव दिया कि व्यापारी मंडी में किसान से फसल खरीदे और उसे तत्काल समर्थन मूल्य पर भुगतान करे। सरकार व्यापारी को ही भावांतर की राशि 15 दिनों के भीतर प्रदान करे। इससे किसान को समय पर पैसा मिलेगा और वह अपनी आगामी फसल की तैयारी आत्मविश्वास से कर सकेगा।
यह प्रणाली ना सिर्फ भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाएगी, बल्कि किसानों की धोखाधड़ी से रक्षा भी करेगी, क्योंकि व्यापारी को सरकार की शर्तों का पालन करना होगा। मंडी रिकॉर्ड के अनुसार, सरकार को किसी तरह के अतिरिक्त सर्वे या सत्यापन की आवश्यकता नहीं होगी।
डिजिटल ट्रैकिंग और पारदर्शिता बढ़ेगी
जैसानी ने यह भी कहा कि सरकार अगर भावांतर योजना को डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ जोड़े, जिसमें मंडी रजिस्ट्रेशन, व्यापारी लेन-देन, और किसानों का विवरण सब ऑनलाइन हो, तो भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
डिजिटल ट्रैकिंग से यह भी सुनिश्चित होगा कि कोई व्यापारी गलत आंकड़े प्रस्तुत न कर सके और कोई किसान दो बार लाभ न उठा सके। इससे सरकारी खजाने की भी रक्षा होगी।
भावांतर योजना को नया रूप देने की जरूरत
प्रदेश में पहले भी भावांतर योजना को लेकर कई शिकायतें आई हैं — किसानों को समय पर भुगतान न मिलना, फसल का सही मूल्यांकन न होना, दलालों की भूमिका, और पंजीयन में देरी जैसी समस्याएँ सामने आई हैं। जैसानी के सुझाव से इन समस्याओं को काफी हद तक हल किया जा सकता है।
उन्होंने सरकार से अपील की कि वह भावांतर योजना की मौजूदा प्रक्रिया की समीक्षा करे और आवश्यकता हो तो पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किसी एक मंडी या जिले में इस मॉडल को लागू कर देखे। यदि परिणाम सकारात्मक आते हैं तो इसे राज्यव्यापी रूप से अपनाया जा सकता है।
मुख्य सुझाव बिंदु (संक्षेप में):
1. किसानों की जगह व्यापारियों का पंजीयन किया जाए।
2. फसल एमएसपी पर व्यापारी द्वारा खरीदी जाए।
3. किसानों को समर्थन मूल्य का भुगतान व्यापारी के माध्यम से हो।
4. व्यापारी को 15 दिन में भावांतर राशि मिले।
5. मंडी में उपलब्ध रिकॉर्ड से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो।
6. सरकार को किसानों की संख्या के बजाय व्यापारियों पर फोकस करने से प्रशासनिक सुविधा होगी।
7. डिजिटल प्लेटफॉर्म से प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी हो सकेगी।













