InCollage 20251013 141353899

RSS के शताब्दी वर्ष पर नगर में स्वयं सेवकों ने कदमताल कर अनुशासित रूप से निकाला राष्ट्रोदय संगम पथ संचलन

हरदा (सार्थक जैन/स्वासिक गंगवाल) । आरएसएस के शताब्दी वर्ष के अवसर पर, देश भर के विभिन्न शहरों और कस्बों में स्वयंसेवकों द्वारा ‘राष्ट्र-उदय संगम संचलन’ जैसे भव्य और अनुशासित मार्च निकाले जा रहे हैं। यह आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 साल पूरे होने का प्रतीक है, जो 1925 में विजयदशमी के दिन हुई थी। कल 12 अक्टूबर, 2025 को हरदा नगर में भव्य पथ संचलन निकाला गया। इसमें जिले की बारह बस्तियों के पांच हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया। संगम स्थल पर स्वयंसेवकों ने अग्नि प्रज्वलित कर अखंडभारत की आकृति बनाकर एकता का संदेश दिया।

नगर के इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब 12 बस्तियों से एक साथ संचलन प्रारंभ होकर पूरे नगर में संगम करता हुआ आगे बढ़ा। जिसका नगर के प्रमुख मार्गों पर पुष्पहार से भव्य स्वागत किया गया। जिसका महासंगम स्थानीय नेहरू स्टेडियम में हुआ। इस अवसर पर 1000 मातृशक्ति द्वारा 1000 दीपकों से ध्वज की आरती की गई, जो कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण रही। इस दौरान जयघोष के नारे से वातावरण गूंजायमान हो गया । पथ संचलन में नगर की गलियां राष्ट्रभावना अनुशासन और एकता की मिसाल गवाह बनी।

नगर की 12 बस्तियों खेड़ापति बस्ती, विठ्ठल बस्ती, परशुराम बस्ती, विवेकानंद बस्ती, देव कॉलोनी बस्ती, सिंगाजी बस्ती, शिवाजी बस्ती, माधव बस्ती, गोविंद कुंज बस्ती, सुभाष बस्ती, केशव बस्ती और महाराणा प्रताप बस्ती से स्वयंसेवक निर्धारित स्थानों से प्रस्थान कर नगर के प्रमुख मार्गों से संचलन करते हुए संगम बिंदुओं पर पहुंचे।

5237 स्वयंसेवकों की सहभागिता, भव्य संगम बना ऐतिहासिक

5237 स्वयंसेवक इस पथ संचलन के समागम में सहभागी बने। लंबे समय से स्वयंसेवक घर-घर जाकर संपर्क कर रहे थे, जिससे प्रत्येक बस्ती से अधिकाधिक संख्या में सहभागिता सुनिश्चित हुई। संचलन के समापन पर नेहरू स्टेडियम में सभी स्वयंसेवकों ने सामूहिक रूप से भारत माता की आरती की। इसके पश्चात् स्वयंसेवकों ने अपने विन्यास से अखंड भारत का जीवंत स्वरूप प्रस्तुत किया, जो इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण रहा। दर्शकों ने खड़े होकर इस अद्भुत दृश्य का अभिवादन किया। कार्यक्रम में संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख कैलाश चंद्रजी ने कहा कि संघ बोलकर नहीं करता, वह अपने आचरण से कार्य करता है। आज संघ केवल संगठन नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की भूमिका में है। बीते दो वर्षों से संघ समाज में पंच परिवर्तन की बात कर रहा है और यह परिवर्तन शाखाओं के माध्यम से व्यवहार में उतर रहा है। उन्होंने कहा कि कभी हम अकेले थे, शून्य थे। आज हम शिखर पर हैं। यह संघ की निरंतरता और स्वयंसेवकों के समर्पण का परिणाम है। कैलाश जी ने युवाओं की दिशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा आज के युवा गलत आकर्षणों, असंयमित जीवनशैली और पाश्चात्य प्रभावों के जाल में फंस रहे हैं। मोबाइल, वेब सीरीज और दिखावे की दुनिया उनके वर्तमान को बिगाड़ रही है। ऐसे में स्वयंसेवकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। जैसे संत-महात्माओं ने देश को संभाला, वैसे ही आज समाज को दिशा देने का कार्य स्वयंसेवक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शाखा ही वह सुरक्षा चक्र है, जो युवाओं को भटकाव से बचाकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करता ।

स्वयंसेवकों ने मां गंगा की तर्ज पर भारत माता की महाआरती की। इस मौके पर स्टेडियम पर अखंड भारत का नक्शा उकेर कर प्रज्वलित किया गया। इस दौरान स्वयंसेवकों ने भारत माता के जोरदार जयकारे लगाए।

Scroll to Top