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अपने अधिकारों की लड़ाई में पटवारी फिर उतरे मैदान में, सरकार को चेतावनी

जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री के नाम डिप्टी कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

हरदा। राजस्व व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पटवारियों ने एक बार फिर अपने अधिकारों की लड़ाई तेज कर दी है। श्रेष्ठ कार्यों से प्रदेश को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित करने वाले इन कर्मचारियों ने अब सीधा मोर्चा खोलते हुए प्रांतीय आव्हान पर मुख्यमंत्री के नाम डिप्टी कलेक्टर संजीव नागू को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने लंबित स्थानांतरण, वेतनमान, पदोन्नति, स्वामित्व योजना की राशि सहित 20 से अधिक बिंदुओं पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। मांगों का समाधान नहीं हुआ तो प्रदेशभर में चरणबद्ध आंदोलन किए जाने की चेतावनी भी दी है।

उक्त जानकारी देते हुए पटवारी संघ के उपप्रांताध्यक्ष राजीव जैन एवं जिलाध्यक्ष अनुराग करोलिया ने बताया कि आज सोमवार 30 जून को मध्य प्रदेश पटवारी संघ के आव्हान पर प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र बाघेल के निर्देश में प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया। इस ज्ञापन में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे अपने उत्कृष्ट कार्यों से प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिला चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद आज भी उनके साथ अन्याय हो रहा है।

राजीव जैन ने बताया कि प्रदेश में पटवारियों के साथ लगातार शोषण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भू-अभिलेख का डिजिटाइजेशन हो या प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का क्रियान्वयन – हर स्तर पर पटवारियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन इसके विपरीत वेतनमान, स्थानांतरण, पदोन्नति और अधिकारों के मामले में उनका लगातार शोषण किया गया है।

ज्ञापन में ये हैं प्रमुख मांग –

ज्ञापन में प्रदेश में हाल ही में हुए अंतरजिला संविलयन स्थानांतरण में पात्र पटवारियों को वंचित किए जाने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। बताया गया कि पति-पत्नी दोनों पटवारी होने के बावजूद एक जिले में पदस्थापना का लाभ नहीं दिया गया। गंभीर बीमारी से ग्रसित, वैवाहिक स्थिति से प्रभावित या म्यूचुअल ट्रांसफर के योग्य होने के बावजूद सैकड़ों पटवारी नजरअंदाज किए गए। जबकि 1200 पात्रों के स्थानांतरण की उम्मीद थी, पर सिर्फ 509 को ही स्थानांतरित किया गया।

इसके अलावा गृह तहसील को आधार बनाकर पटवारी संघ के मान्यता प्राप्त पदाधिकारियों को नियमविरुद्ध प्रताड़ित किया गया, जिसकी निंदा करते हुए इन्हें निरस्त करने की मांग की गई। ज्ञापन में समान कार्य के लिए समान वेतन की बात भी कही गई। बताया गया कि 27 वर्षों से पटवारियों के वेतनमान में कोई उन्नयन नहीं हुआ, जबकि राजस्व विभाग के अन्य पदों पर यह प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। स्नातक एवं सीपीसीटी योग्यता होने के बावजूद पटवारियों को पे ग्रेड 2800 (Pay Grade 2800) का लाभ नहीं दिया गया, न ही कैडर रिव्यू लागू किया गया।

पटवारियों की पदोन्नति की प्रक्रिया (Patwari Promotion) भी ठप है, जबकि अन्य सभी विभागों में प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 6 वर्षों से नायब तहसीलदार पद की विभागीय परीक्षा भी आयोजित नहीं की गई, जिससे उन्हें लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। गोपनीय चरित्रावली न लिखे जाने के कारण हजारों पटवारियों को समयमान वेतन और पदोन्नति लाभ से वंचित किया जा रहा है।

अतिरिक्त वेतन देने की मांग

शनिवार-रविवार को भी काम लेने पर अतिरिक्त वेतन देने की मांग की गई। स्वामित्व योजना के सफल क्रियान्वयन के बावजूद मानदेय का भुगतान नहीं होना, साइबर तहसील भोपाल द्वारा ऑनलाइन नामांतरण निपटान में लापरवाही और सतना जिले में पटवारियों का नियमविरुद्ध जिले से बाहर तबादला जैसे गंभीर मुद्दों को भी ज्ञापन में शामिल किया गया है।

वेतन भुगतान प्रणाली पर सवाल

वर्तमान में नियुक्त नए पटवारियों को तीन साल तक 70, 80 और 90 प्रतिशत वेतन देने की प्रणाली को भी अनुचित बताते हुए शत-प्रतिशत वेतन की मांग की गई है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि इन सभी बिंदुओं पर शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई, तो प्रदेशभर के पटवारी चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। 

ज्ञापन में जिले भर के पटवारी उपस्थित रहे । प्रमुख रूप से सुनील शर्मा, लादूराम धुर्वे, संदीप सोनी, संतोष गौर, उदय उईके, राजनारायण बट्टी, जितेन्द्र ओनकर, किरण मिश्रा, मिताली ठाकुर, मनीष कुशवाहा, पवन बांके, दिनेश ठाकुर, ब्रजेश चौबे, अमीत दुबे, प्रहलाद बैरागी, जितेन्द्र ठाकुर, नीरज आमै आदि थे।

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