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चातुर्मास का उद्देश्य त्याग, तपस्या ओर कर्मों की निर्जरा है : मुनिश्री निर्णयसागर महाराज

हरदा । चातुर्मास का उद्देश्य त्याग, तपस्या ओर कर्मों की निर्जरा है, समाज के कल्याण के लिए चातुर्मास होता है उक्त उद्गार मुनिश्री निर्णयसागर महाराज ने नगर के श्री दिगम्बर जैन मंदिर में प्रवचन देते हुए व्यक्त किये। मुनिश्री ने कहा कि हर घर का हर व्यक्ति स्वाध्याय का लाभ लेने वाला होना चाहिए। चातुर्मास तब ही सफल होता है जब समाज धर्म का पालन करना हृदय से अंगीकार करें। चातुर्मास साधु के लिए आवश्यक नहीं है, समाज के सभी लोगों को इस दौरान धर्म सिखने ओर धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है । कोई भी साधु लगातार चार माह तक एक स्थान पर नहीं रहता है, चातुर्मास में यह सौभाग्य श्रावकों को मिलता है। चातुर्मास में सभी श्रावकों को अधिक से अधिक धर्म लाभ लेना चाहिए ओर अपने कर्मों की निर्जरा कर धर्मपथ पर आगे बढ़ना चाहिए ।

जैन समाज के कोषाध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि टिमरनी नगर में श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव को संपन्न कराने के बाद आज हरदा नगर में मुनिश्री निर्णयसागर महाराज का अल्प प्रवास हुआ । इस दौरान मुनिश्री को चातुर्मास के लिए श्रीफल भेंट करने शुजालपुर के सैकड़ों जैन बंधु हरदा पधारे ओर मुनिश्री को चातुर्मास के लिए श्रीफल भेंट किया । इस अवसर पर मुनिश्री ने उपस्थित श्रावकों को चातुर्मास का महत्व और अर्थ बताया ।

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