श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव का पांचवा दिन, तपकल्याणक
हरदा । प्रतिदिन श्रावक को देव दर्शन, अभिषेक, पूजन, सामायिक, प्रतिक्रमण, दान करना चाहिये । ये छ: आवश्यक श्रावकों के लिए बतायें गये है । जिस प्रकार अच्छी उपज के लिए कृषि कार्य में बखरनी, बोनी, सिंचाई, निंदाई, गुड़ाई, कटाई आवश्यक है, किसी भी एक क्रिया को नहीं छोड़ा जा सकता उसी प्रकार श्रावकों के लिए भी आवश्यक नियम है । उक्त उद्गार मुनिश्री निर्णयसागर महाराज ने नगर के अमृतश्री कॉलेज परिसर में चल रहे जैन समाज के श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव में पांवें दिन श्रावकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
मुनिश्री ने कहा कि जिनेन्द्र देव के चरणों में पूजन सभी प्रकार के दु:ख को दूर करने वाली है ।पूजन भी ऐसी करना चाहिए जो कर्मों को गलाकर, हमें अच्छे कर्मों की ओर ले जाये, सदमार्ग दिखाये ओर मोक्षमार्ग के लिए रास्ता दिखाये ना किं राग, मोह, भोग विलास की वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए ।अरिहंत भगवान के चरणों में उल्लास से पूजन करने का फल भी उत्तम मिलता है ।
मुनिश्री ने कहा कि तपस्या ओर त्याग अपने सामर्थ्य से करना चाहिए ।शक्ति के अनुसार करना चाहिए । देखा देखी ढ़ाने योग, बड़े दुर्बलता लगे रोग, सब दु:खों का छय करने के लिए जिनभक्ती परम आवश्यक है । वो भी पूरे हर्ष ओर उल्लास के साथ ।
आज पंचकल्याण के पांचवें दिन भगवान के तप कल्याणक का पूजन अर्चन किया गया । राजदरबार में नृत्यांगना नीलांजना के निधन को देखकर भगवान को वैराग्य का भाव उत्पन्न हुआ और उन्होंने अपनी प्रजा को अशी मशी ओर कृषि का ज्ञान देते हुए वैराग्य धारण कर राजपाठ छोड़कर दीक्षा लेकर वन में तपस्या के लिए चले गए । जब तीर्थंकर सब कुछ त्यागकर वन में जाकर मुनि दीक्षा ग्रहण करते है उसे ही तप कल्याणक महोत्सव कहा जाता है ।
तप कल्याणक के बारे में –
तप कल्याणक का अर्थ है तपस्या, त्याग, और संयम। यह वह समय है जब तीर्थंकर भगवान अपनी सांसारिक इच्छाओं को त्याग देते हैं और आत्म-साधना में लग जाते हैं। तप कल्याणक जैन धर्म में पाँच कल्याणकों में से एक है, जो तीर्थंकर भगवान के जीवन की पाँच महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाता है। यह घटना तब होती है जब तीर्थंकर भगवान तपस्या करते हैं और संयम के रास्ते पर चलते हैं।
संध्या कालीन महाआरती का सौभाग्य सिंघई संतोष कुमार जैन, सुनील कुमार जैन, उदित कुमार, समर्थ कुमार, उदेश्य कुमार, अतिशय जैन टिमरनी परिवार को प्राप्त हुआ । महाआरती की शोभा यात्रा नवीन जिनालय श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर से सायं 6:00 बजे निकल कर आयोजन स्थल अमृतश्री कॉलेज पहुंचि।