हरदा। नगर के चंद्रप्रभु जिनालय में मुनिश्री १०८ निर्णय सागर जी महाराज के सान्निध्य में चल रहे त्रिदिवसीय दिव्य देशना शिविर के दूसरे दिन उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि हमारे भावों के अनुसार हमारे कर्म आत्मा में आते है यदि हमारे भाव अच्छे है तो हमारे पुण्य कर्म का आना होता है । और यदि भाव खराब होते है बुरी प्रकृति अच्छे बुरे कर्म उदय में आने के कारण होती है। इसलिए हमे कभी भी बुरे वचनों का प्रयोग नहीं करना चाहिये ना ही शरीर से बुरी चेष्टा करना चाहिये ।
जैसे हमारी भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर के शिर झुका करके लोगो का अभिवादन किया जाता है। ओर वचनो से राम – राम, जय राम, जयजिनेन्द्र बोला जाता है। इसमे पुण्य कार्म का उदय होता है। इसके विपरित कोई बेकसूर जीव पर हमला बोलता है गंदी गालीयां देता है तो घोर पाप कर्म का आसव होता है। पुण्यकर्म का फल स्वर्ग, वैकुंठ धाम और अच्छी मनुष्य गति है अच्छा कुल है।
शिविर में दूसरे दिन अनूप बजाज, मनोज जैन, मुकेश बकेवरिया, अभिषेक बड़जात्या, संभव जैन, साधना कटनेरा, ममता बजाज, शगुन पाटनी, साधना बजाज, रेणु बकेबरिया, रागनी बड़जात्या, प्रियंका जैन, रितु अजमेरा, गरीमा बाकलीवाल आदी उपस्थित रहे ।