हरदा (सार्थक जैन)। हर जीव को अपने अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। यदि हमारे कर्म गलत है तो उसका फल भी हमें ही भोगना होगा। बुरे कर्मों से बचने के लिए, हमें अच्छे कर्म करने चाहिए, बुद्धि से कर्म करना चाहिए, अज्ञान को दूर करना चाहिए, और सकारात्मक मानसिकता रखनी चाहिए। उक्त उद्धार मुनिश्री १०८ निर्णयसागर महाराज ने स्थानीय श्रीचंद्रप्रभु जिनालय में आयोजित दिव्य देशना शिविर में व्यक्त किये।
जैन समाज हरदा के कोषाध्यक्ष राजीव रविंद्र जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री १०८ निर्णय सागर महाराज नगर में विराजमान है । मुनिश्री के सान्निध्य में कर्म से कैसे बचें विषय पर त्रिदिवसीय दिव्य देशना शिविर आज शुक्रवार से प्रारंभ हुआ है । इस दिव्य देशना में “कर्म से कैसे बचें?” विषय पर मुनिश्री ने मार्गदर्शन दिया , जिससे आत्मशुद्धि व कर्मनिर्जरा का पथ प्रशस्त होगा।
मुनिश्री निर्णयसागर महाराज ने उपस्थित जैन धर्मावलम्बीयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अच्छे कर्मों से पुण्य और बुरे कर्मों से पाप का फल मिलता है। कर्मों के दंड से बचने के लिए अच्छे कर्म करना चाहिए ओर हमें तत्वार्थसूत्र ग्रंथ में बताये अनुसार अच्छे कर्मों को करके हम बुरे कर्मों के प्रभाव को कम कर सकते हैं और पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। बुद्धि और विवेक से कर्म करके हम अपने कर्मों को बना सकते हैं। कर्मों के बारे में अज्ञान दूर करके हम कर्मों के चक्र से बच सकते हैं। सकारात्मक मानसिकता रखने से हम सकारात्मक कर्मों की ओर आकर्षित होते हैं और बुरे कर्मों से बच सकते हैं।
आज के शिविर में जैन समाज के अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन, अनूप बजाज, अजय कटनेरा, अभिषेक जैन, मुकेश बकेवरिया, मनोज पुजारी, साधना कटनेरा, साधना बजाज, मीना कठनेरा, ममता बजाज, रेणु बकेबरिया, रितु अजमेरा, उषा बड़जात्या, मनीषा अजमेरा, शुगन पाटनी, रागनी बड़जात्या, आरती जैन सहित समाज के काफी लोग उपस्थित थे।