हरदा। टिमरनी विकासखंड अंतर्गत माँ नर्मदा नदी तट पर स्थित ग्राम गोंदागांव खुर्द के श्री गंगेश्वरी मठ धार्मिक स्थल में विशाल धर्मसभा का आयोजन हुआ जिसमें हजारों की संख्या में सनातनी बन्धु उपस्थित रहे। धर्मसभा में साधु, संतों, पंडितों, विद्वानों ने अपने विचार रखे।
नवगठित गोंदागांव गंगेश्वरी मठ लोक न्यास के सचिव सुजीत शर्मा ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस मठ के पुनर्गठन के बाद इसका पुनरुत्थान, संवर्धन और संरक्षण किया जाएगा। यहां वैदिक पीठ की स्थापना कर बटुकों को संस्कृत की शिक्षा दी जाएगी। जैविक खेती होगी, गोशाला,आयुर्वेद चिकित्सालय,औषधालय भी संचालित किये जायेंगे। मठ का वैभव लौटकर आए इसके हर सम्भव प्रयास किए जाएंगे।
धर्म सभा को राम जानकी मंदिर सोडलपुर, अखिल भारतीय मठ मंदिर सलाहकार समिति मध्यप्रदेश के महामंत्री हनुमान दास महाराज, छिदगांव मेल के पं. रमाकांत जोशी ,वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश टांक सहित अन्य उपस्थित सन्तो ने भी संबोधित किया।गोंदागांव गंगेश्वरी मठ उत्थान, निर्माण व संरक्षण संवर्धन के लिए सात सदस्यीय लोकन्यास का पुनर्गठन दिसंबर में किया गया। इसके अलावा 21 सदस्यों की एक समिति बनाई गई। समस्त मठों मंदिरों के उपस्थित सन्तो,पंडितों को सलाहकार संरक्षक की जिम्मेदारी देकर सम्मानित किया गया।उल्लेखनीय है कि मठ बरसों पुराना है। इसमें शासन, प्रशासन का सीधा दखल था। बावजूद इसके
प्रशासनिक लापरवाही, उदासीनता एवं तत्कालीन मठाधीशों ,भूमाफियाओं के निजी स्वार्थ के चलते यह मठ लगातार दुर्दशा का शिकार होता गया।इसका वैभव पुनः बनाने के लिए न्यास समिति दृढ़ संकल्पित है।महाआरती पश्यात प्रसादी का वितरण किया गया।
धर्मसभा में बड़ी संख्या में संत समाज विद्वान, ब्राह्मण, आसपास के ग्रामीण, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी, बड़ी संख्या में पुलिस बल, व प्रशासन के कर्मचारी उपस्थित रहे।न्यास समिति अध्यक्ष विवेक भुस्कुटे ने बताया कि त्रिवेणी संगम स्थित इस मठ क्षेत्र को दार्शनिक,पर्यटन स्थल बनाया जाएगा।
ट्रस्ट के पूर्णकालिक सदस्य रामवीर भारती ने सभा में कहा कि गोंदागांव गंगेश्वरी मठ जिले का बहुत प्राचीन मठ मंदिर है। इस मठ की 7000 एकड़ जमीन हुआ करती थी। जो या तो पूर्व में बेच दी गई और भू माफिया और दबंगों ने कब्जा कर लिया। बाद में यहां मात्र 270 एकड़ जमीन ही बची है। जिसमें से 110 एकड़ अतिक्रमण की चपेट में है। इसी मठ को बचाने के लिए सनातन धर्म समाज आगे आया है।
छिदगांव मेल के कथावाचक पं. जोशी ने गोंदागांव गंगेश्वरी मठ त्रिवेणी संगम की महत्ता पर कहा कि पूरे मां नर्मदा खंड में कहीं कैसा स्थान नहीं है। यहां तीन नदियों का संगम है। इसका नर्मदा पुराण में भी वर्णन है। इसलिए इस स्थान की अपनी महिमा है। इसके पुनः संरक्षण, संवर्धन के लिए सनातन समाज एक हो आगे आए और इसकी रक्षा करे। यह संकल्प हम सभी को लेना चाहिए।अयोध्या से आए सहदेव महाराज ने कहा कि प्राचीन मठ, मंदिरों का संरक्षण और संवर्धन करना होगा तभी हमारा धर्म, संस्कृति बचेगी। सनातन धर्म को एकजुट होकर रहना होगा।- संदीप अग्रवाल की रिपोर्ट