गुरु का सानिध्य मिलने पर भी व्यक्ति में सुधार नहीं हुआ तो जीवन किस काम का- मुनिश्री वीररसागर जी

गुरु का सानिध्य मिलने पर भी व्यक्ति में सुधार नहीं हुआ तो जीवन किस काम का- मुनिश्री वीररसागर जी

चातुर्मास का समय जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने का समय

IMG 20240728 WA0053


लोकमतचक्र डॉट कॉम।  

हरदा/नेमावर (सार्थक जैन)। सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र में चातुर्मासरत निर्यापक मुनिश्री वीरसागरजी महाराज के रविवार को विशेष प्रवचन हुए। जिन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु नेमावर पहुंचे। इसके पूर्व आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज और समयसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण अजय जैन, सुधांशु जैन दिल्ली और उनके साथी श्रावकों ने किया। ब्रम्हचारी भैयाओं ने दीप प्रज्वलन किया। हरदा दिगम्बर जैन महिला परिषद द्वारा समाज के परिवारों के साथ आचार्यश्री की अष्ट द्रव्य से संगीतमय पूजन की गई। विभिन्न शहरों से आए श्रद्धालुओं ने शास्त्र भेंट किया। ट्रस्ट कमेटी के कार्याध्यक्ष सुरेश काला, महामंत्री सुरेंद्र जैन सहित कार्यकारिणी और पदाधिकारियों ने बाहर से आए श्रद्धालुओं का स्वागत किया। 

IMG 20240728 WA0062

सिद्वोदय सिद्ध क्षेत्र के महामंत्री सुरेन्द्र जैन एवं मिडिया प्रभारी पुनीत जैन ने बताया कि चातुर्मास को सफलता पूर्वक संपन्न कराने के लिए 15 से ज्यादा समितियां बनाई गई हैं। मुनिश्री ने सभी समिति सदस्यों को निष्ठापूर्वक अपना दायित्व का निर्वहन करने की शपथ दिलाई। आशीर्वचन देते हुए मुनिश्री वीरसागरजी ने कहा कि साधु एकांत में रहकर साधना कर लेता है। लेकिन श्रावक जो घर-गृहस्थी और व्यापार में उलझा रहता है। उसे अपने जीवन को ऊंचा उठाने के लिए सशक्त निमित्त की आवश्यकता होती है। इस निमित्त में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मनुष्य जब युवा से प्रौढ़ और प्रौढ़ से वृद्ध हो जाता है, जब शरीर में शक्ति रहती नहीं। तब उसे अहसास होता है। जीवन का पूरा समय परिवार में लगा दिया। खुद के लिए कुछ किया नहीं। भोगों को भोगते हुए, घर-परिवार की चिंता करते हुए जीवन ऐसे ही व्यतीत हो रहा है। पूरा जीवनकाल ऐसे ही निकल गया।

1713260606 picsay

मुनिश्री ने कहा कि गुरु का सानिध्य मिलने पर भी व्यक्ति में सुधार नहीं हुआ तो जीवन किस काम का। जीवन को ऐसे ही मत बिता देना। आज अपनी जीवन शैली को बदलने का संकल्प लेने की आवश्यकता है। नया दृष्टिकोण और नया चिंतन लाने की जरूरत है। जिसके कारण हमारा भीतरी स्वरूप बदल जाए। जो गुरु को चाहता है वो गुरु के रास्ते को भी चाहता है। आज जरूरत गुरु के बताए रास्ते पर चलने की है, जिसके लिए संकल्प लेना पड़ेगा। गुरु के हाथ में यदि अपना जीवन सौंप दिया तो आपके जीवन का उत्थान होने से कोई रोक नहीं सकता। 

IMG20240728150904

मुनिश्री ने कहा- गुरु को मानने वालों के जीवन में बदलाव आए जरूरी नहीं, लेकिन गुरु की मानने वालों का जीवन तर जाने की ग्यारंटी है। गुरु को सबसे अधिक दु:ख तब होता है, जब वह अपने शिष्य/भक्त के पतन को देखता है और जब वह उन्नति और जीवन कल्याण के पथ पर अग्रसर होता है तो गुरु को बड़ी प्रसन्नता होती है। जो बीत गया उस पर पश्चाताप करने के बजाए अपने जीवन के शेष समय को कैसे आत्म कल्याण के लिए लगाएं इस पर विचार करने की जरूरत है। चातुर्मास का समय अपने जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने का समय है। इसमें एक अच्छे श्रावक बनने के साथ-साथ संत बनने के लिए भी अपने मार्ग को प्रशस्त कर सकते हैं। इस अवसर पर भोजनशाला कमेटी ने चातुर्मास में क्षेत्र पर आने वाले श्रावकों के लिए नि:शुल्क भोजन कि व्यवस्था करने की घोषणा की गई।

1713260565 picsay

Post Comment

You May Have Missed

Enable Notifications OK .