समस्याओं को हल करने में प्रदेश की यादव सरकार विफल : राजपूत

समस्याओं को हल करने में प्रदेश की यादव सरकार विफल : राजपूत

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लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। पहले कर्तव्य फिर अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों का विश्वास इन दिनों शासन स्तर से उठता नजर आ रहा है, हर विभाग में कर्मचारियों की बढ़ रही समस्यायों के निदान हेतु प्रदेश शासन से हो रही अनदेखी से कर्मचारियों को अब लगने लगा है, कि बगैर हो हल्ला मचाये, उन्हें वर्तमान की मोहन सरकार आगे कुछ देने वाली नहीं है, हर छः माह में बढ़ने वाला महंगाई भत्ता विगत एक वर्ष से न बढ़ने से कर्मचारीयों की मायूसी साफ देखी जा सकती है। आये दिन बढ़ाकर कर्मचारीयों का माखौल उड़ाया जाता है। दशकों से प्रमोशन की आस में आये दिन थोक के भाव में सेवा निवृत्त हो रहे कर्मचारियों की स्थिति किसी से भी छिपी नहीं है। 

शासन स्तर पर चल रही मनमानी का जिक्र करते हुये कर्मचारियों के प्रांतीय प्रवक्ता मार्तण्ड सिंह राजपूत ने बताया कि राज्य शासन ने अभी हाल ही में एक ऐसा तुगलकी आदेश जारी कर उसमें खासकर प्रदेश के शिक्षकों को प्रश्नचिन्हित किया गया है, जिसमें उल्लेख है, कि सहायक शिक्षकों और उच्च श्रेणी शिक्षकों को छोड़कर प्रदेश के सभी विभाग के समस्त कर्मचारीयों को यहां तक नगरनिगम, बिजली विभाग के कर्मचारियों को चतुर्थ समयमान वेतनमान का लाभ उनकी 35 वर्षीय सेवा उपरांत देय होगा, विकलांग कर्मचारियों के दिव्यांग वाहन भत्ता से लेकर सभी संवर्ग के कर्मियों के मकान भाड़ा भत्ता व अन्य देय भत्तों में महंगाई के अनुरूप बीसों साल से आज पर्यन्त तक कोई बढ़ोत्तरी न होने से कर्मचारियों की नाराजगी चरम सीमा पर है। 

लिपिक संवर्ग से लेकर शिक्षक, पटवारी, पेंशन भोगी कर्मी और प्रथम, द्वीतीय, तृतीय तथा चतुर्थ श्रेणी तक के अधिकारी – कर्मचारी गण आज सभी अपने अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ कर अपना जायज हक प्राप्त करने हेतु सड़कों पर उतरने को आतुर नजर आ रहे हैं । उक्त जानकारी देते हुये अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संघ के प्रांतीय प्रवक्ता मार्तण्ड सिंह राजपूत ने बताया कि प्रदेश स्तर पर लिये गये निर्णय के अनुसार लगभग 50 की तादात में सभी मान्यता प्राप्त संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा अब एक झंडे के नीचे अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संघ के बैनर तले एकत्र होकर शासन के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन खड़ा करने की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं।

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