उज्जैन ।राजस्व महाभियान 2.0 में लापरवाही बरतने पर कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के आदेश पर एसडीएम ने नागदा तहसील के सात पटवारियों पर सीधे विभागीय जांच बैठा दी है। उन्हें विभागीय जांच से पहले जारी किया जाने वाला कारण बताओ सूचना पत्र तक जारी नहीं किया है। इस कार्रवाई के विरोध में जिले के सभी 535 पटवारी काम बंद कर तीन दिन के अवकाश पर चले गए। सभी 10 तहसीलों में पटवारियों ने एसडीएम को संभागायुक्त के नाम ज्ञापन दिया। सोमवार तक समाधान नहीं करने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी।
पटवारी संघ के संभागीय अध्यक्ष आशीष कुमावत का कहना है कि कलेक्टर ने कार्रवाई गलत करवाई है। विभागीय जांच बैठाने से पहले पटवारियों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर जवाब लेना था। मगर ऐसा नहीं किया गया। नक्शा बटांकन कार्य मौसम के अनुकूल नहीं है। खेतों में सोयाबीन की फसल खड़ी है और खेतों में पानी भरा है, जिससे वहां जाना संभव नहीं। कार्य क्षमता और गुणवत्ता की बजाय केवल संख्यात्मक लक्ष्य देकर जल्दबाजी में कराम कराने से त्रुटियां होगी और इससे किसान एवं पटवारियों के बीच विश्वास कम होगा। किसानाें के आपसी विवाद उत्पन्न होंगे। केवाइसी कार्य ओटीपी आधारित काम है जो पटवारियों द्वारा किया जाना संभव नहीं है। जिन पटवारियों पर विभागीय जांच बैठाई है उनके नाम अनिल शर्मा, दुष्यंत तोमर, नमीता तिलकर, निलेश्वरी मालवीय, सविता बामनिया, सीमा परमार, सुनील चौहान है। जांच अधिकारी तहसीलदार को नियुक्त किया गया है।
जस्व महाभियान 2.0 के क्रियान्वयन में उज्जैन जिला 35वें पायदान पर है। वजह, केवल 21.34 प्रतिशत राजस्व प्रकरणों का निराकरण होना है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार उज्जैन जिले को नामांतरण, बंटवारा, अभिलेख दुरुस्ती के लंबित 5 लाख 75518 महीनों से लंबित प्रकरणों का निराकरण करना था, जिसके विरुद्ध अमले ने डेढ़ महीने में केवल 1 लाख 22803 प्रकरणों का निराकरण ही किया। जबकि मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव, संभागायुक्त, कलेक्टर कई बार एसडीएम, तहसीलदार और पटवारियों को चेता चुके थे कि अभियान के काम में जरा भी उदासीनता या लापरवाही बरती तो दंडित होना पड़ेगा। याद रहे कि राजस्व प्रकरणों का निराकरण करने को मुख्यमंत्री ने 18 जुलाई से राजस्व महाभियान 2.0 की शुरूआत कराई थी। कहा था कि महाभियान 31 अगस्त तक चलाया जाएगा। इस अवधि में शतप्रतिशत प्रकरणों का निराकरण कराया जाएगा। इसके पहले इसी वर्ष 15 जनवरी से 31 मार्च तक चलाए राजस्व महाअभियान 1.0 चलाया गया था, तब भी उज्जैन टाप थ्री जिलाें में जगह नहीं बना सका था। तब पहले पायदान पर पांढुर्ना, दूसरे पायदान पर बुरहानपुर और तीसरे पायदान पर खंडवा जिला था। फिलहाल की स्थिति में बुरहानपुर पहले, पांढुर्णा दूसरे और खंडवा तीसरे पायदान पर है। विशेष बात ये भी है कि उज्जैन जिले से बेहतर स्थिति संभाग के नीमच, आगर-मालवा, मंदसौर, देवास, रतलाम की है। नीमच 11वें, आगर-मालवा 13वें, मंदसौर 19वें, देवास 23वें, रतलाम 26वें पायदान पर है। पड़ोसी जिला इंदौर 16वें पायदान पर है।
Post Comment