हरदा (सार्थक जैन)। माता-पिता का व्यवहार बच्चों पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि माता-पिता संयमित, करुणामय, और धैर्यवान होते हैं, तो बच्चे भी उन गुणों को आत्मसात करते हैं। बच्चों की शिक्षा और उनके संस्कारों का प्रारंभ घर से ही होता है। यदि माता-पिता अपने आचरण में संयम और सद्भावना बनाए रखते हैं, तो बच्चों में भी वही गुण विकसित होते हैं। उक्त उद्गार सिद्धोद्वय सिद्ध क्षेत्र नेमावर में निर्यापक मुनि श्री वीरसागर महाराज ने व्यक्त किये। मुनि श्री के सानिध्य में आज वर्तमान समय में कैसे संस्कार बच्चों को दें जिससे बच्चों ओर पालकों में आत्मीयता बनी रहे को लेकर पेरेंटिंग वर्कशॉप संपन्न हुई ।
मुनि श्री ने कहा कि बच्चे आपका अनुसरण नहीं अनुकरण करते है, बच्चे कभी भी देखा हुआ जीवन पर्यंत भूलते नही है। जो माता पिता अपने बच्चो को मोबाइल दे रहे है वे उन्हें मोबाइल नही बीमारी दे रहे है। बच्चो की टेंडेंसी होती है उन्हें अच्छे से अच्छा चाहिए। मां बाप को बच्चों के लिए नकारात्मक शब्दो का प्रयोग बंद करना चाहिए। मुनि श्री ने कहा कि झूठ बोलने की नींव कहा से शुरू होती है चिंतन करें।
उक्त जानकारी देते हुए सिद्धोद्वय के महामंत्री सुरेन्द्र जैन एवं मिडिया प्रभारी राजीव रविंद्र जैन ने बताया कि आज आयोजित वर्कशॉप में मुनि श्री वीरसागर जी ने बच्चों ओर पालकों की जिज्ञासा पर प्रैक्टिकली समाधान देते हुए कहा कि धर्ममय संस्कारों के साथ बच्चों को व्यवहारिक जीवन की शिक्षा देते हुए उनका लालन पालन करें। जो पालक अपने बच्चों को आधुनिकता के साथ धर्म का ज्ञान देंगे ओर उन्हें धर्म की राह पर चलते हुए जीवन जीने के संस्कार देंगे वो सदैव सम्मानित होंगे ओर अपने जीवन के साथ ही समाज के लिए एक उदाहरण बनेंगे । आयोजित वर्कशॉप में पालको ओर बच्चों से उनके जीवन में आने वाले प्रश्न ओर उसके जबाव पुछे गये जिस पर मुनिश्री वीरसागर जी ने प्रैक्टिकली समाधान पूर्वक जबाब दिये।
सिद्धोद्वय सिद्ध क्षेत्र के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेश काला ने बताया कि पेरेंटिंग वर्कशॉप में 300 से अधिक दम्पत्ति ने उत्साह के साथ भाग लिया ओर बच्चों का लालन पालन कैसे करें समझा। आज की पेरेंटिंग वर्कशॉप का उद्देश्य माता-पिता को अपने बच्चों के साथ संबंधों पर गहराई से विचार करने और आत्मनिरीक्षण करने के लिए प्रेरित करना था। यहां विचार, भावनाएँ और व्यवहार के बारे में सवाल दिए गए, जिनका उत्तर देने से पालकों ओर बच्चों को अपनी प्रतिक्रियाओं और आदतों को सुधारने में मदद मिली। साथ ही, जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करते हुए, एक बेहतर माता-पिता बनने की शिक्षा भी प्राप्त हुई।
वर्कशॉप में मुनिश्री के गृहस्थ जीवन की मां सुशीला देवी का सम्मान सिद्धोद्वय सिद्ध क्षेत्र ट्रस्ट कमेटी ने किया। आयोजन को हरदा जैन समाज के आलोक बड़जात्या, सरगम कठनेरा, सपन बजाज, सुकुमार कठनेरा, सुशील काला खातेगांव सहित युवाओं ने मुनि श्री के मार्गदर्शन में वर्कशॉप को बनाया सफल।
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