भोपाल। केंद्रीय कर्मचारियों का डीए बढने से प्रदेश के कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त हो गया है। केंद्र सरकार ने कर्मचारियों वे का डीए (महंगाई भत्ता) 50 प्रतिशत हो गया है, जबकि राज्य के कर्मचारियों । को 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। इससे मप्र के कर्मचारियों को हर माह हजारों रूपए की क्षति पहुंच रही है। चार प्रतिशत के अंतर को पाटने के लिए कर्मचारी संगठन कई बार सरकार से अनुरोध कर चुके हैं लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इससे कर्मचारियों को प्रतिमाह नौ से लेकर लगभग चार हजार रुपये का क्षति हो रही है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार महंगाई भत में वर्ष में दो बार वृद्धि करती है। जनवरी और जुलाई से इसे लागू किया जाता है। अभी जनवरी से महंगाई भत्ता और राहत का भुगतान 50 प्रतिशत की दर से किया जा रहा है। जुलाई में होने वाली वृद्धि की घोषणा सितंबर में संभावित है। यदि फिर चार प्रतिशत की वृद्धि की गई तो राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच महंगाई भत्ते का अंतर आठ प्रतिशत हो जाएगा। विधानसभा चुनाव के पहले सरकार ने कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए मार्च 2024 में महंगाई भत्ता 42 से बढ़ाकर 46 प्रतिशत किया था।
नौ सौ से लेकर चार हजार तक क्षति : मप्र मंत्रालयीन अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को जब जनवरी 2024 से 50 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता दिया जा रहा है तो फिर राज्य के कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। प्रतिमाह कर्मचारियों को नौ सौ से लेकर चार हजार रुपये तक क्षति हो रही है। दूसरी ओर भविष्य निधि कटौती भी कम हो रहा है, जिसका नुकसान सेवानिवृत्त होने पर होगा। यही स्थिति प्रदेशभर के पेंशनर्स की भी है।
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