पर्युषण महापर्व के छटवें दिन उत्तम संयम धर्म की आराधना की दिगम्बर जैन समाज ने, धुप अर्पण कर कि कर्मों की निर्जरा

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पर्युषण महापर्व : प्राणी-रक्षण और इन्द्रिय दमन करना संयम है – निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीरसागर

हरदा (सार्थक जैन)। स्पर्शन, रसना, घ्राण, नेत्र, कर्ण और मन पर नियंत्रण (दमन, कन्ट्रोल) करना इन्द्रिय-संयम है। पृथ्वीकाय, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और त्रसकाय जीवों की रक्षा करना प्राणी संयम है इन दोनों संयमों में इन्द्रिय संयम मुख्य है क्योंकि इन्द्रिय संयम प्राणी संयम का कारण है, इन्द्रिय संयम होने पर भी प्राणी संयम होता हैं, बिना इन्द्रिय संयम के प्राणी संयम नहीं हो सकता। उक्त बाते निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीरसागर जी ने पर्युषण महापर्व के छटवें दिन उत्तम संयम धर्म के अवसर पर सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर में चल शिविर में प्रवचन देते हुए कही।

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उक्त जानकारी देते हुए जैन समाज हरदा के कोषाध्यक्ष राजीव रविंद्र जैन ने बताया कि सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर में निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीरसागर जी महाराज के सानिध्य में जैन समाज के देश विदेश से आये 400 से अधिक जैन श्रृद्धालुओं द्वारा धर्म शिविर का लाभ लिया जा रहा है । शिविर में मुनि श्री ने कहा कि इन्द्रियाँ बाह्म पदार्थों का ज्ञान कराने में कारण है, इस कारण तो वे आत्मा के लिये लाभदायक हैं क्योंकि संसारी आत्मा इन्द्रियों के बिना पदार्थों को जान नहीं सकता। पँचेन्द्रिय जीव की यदि नेत्र-इन्द्रिय बिगड़ जावे तो देखने की शक्ति रखने वाला भी आत्मा किसी वस्तु को देख नहीं सकता। परंतु इन्द्रियाँ अपने-अपने विषयों की ओर आत्मा तो आकृष्ट (खींच) करके पथभ्रष्ट कर देती हैं, आत्मविमुख करके आत्मा को अन्य सांसारिक भोगों में तन्मय कर देती हैं। मोहित करके विवेक शून्य कर डालती हैं, जिससे कि साँसारिक आत्मा बाह्म-दृष्टि बन कर अपने फँसने के लिये स्वयं कर्मजाल बनाया करता है। इन्द्रियों का यह कार्य आत्मा के लिये दुख दायक है।

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श्री दिगंबर जैन समाज हरदा के कोषाध्यक्ष राजीव जैन एवं ट्रस्टी सचिन सिंघई ने बताया कि नगर के चारों श्री दिगंबर जैन मंदिरों एवं तारण तरण चैत्यालय में शुक्रवार को आत्मशुद्धि के पावन पर्व पर्युषण पर्व के छटवें दिन उत्तम संयम धर्म की पूजा अर्चना की गई। चारों जिनालयों ओर तारण तरण चैत्यालय में रंगोली से आकर्षक चित्र आदि बनाकर सजाया गया था । इस अवसर पर खेड़ीपुरा स्थित श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर में शांतिनाथ भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य प्रदीप अंकित बजाज को, प्रथम कलश का सौभाग्य राहुल, पावन रपरिया को एवं महावीर भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य रोलि राहुल रपरिया को प्राप्त हुआ। मंडल विधान पर भगवान महावीर स्वामी का प्रथम कलश से अभिषेक मंडल विधान में खड़े समस्त श्रावकों ने किया। दिगम्बर जैन समाज के सभी श्रृद्धालुओं ने नगर के चारों मंदिरो ओर तारण तरण चैत्यालय में जाकर श्रीजी को धूप अर्पित कर अपने कर्मों कि निर्जरा की।

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