पता नहीं चला, दूसरे के नाम हो गई सौ करोड़ ₹ की खेती की जमीन

पता नहीं चला, दूसरे के नाम हो गई सौ करोड़ ₹ की खेती की जमीन

बड़ा घोटाला, पटवारी की सजगता से रजिस्ट्री शून्य

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लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल/इंदौर। भू-माफियाओं ने आधा दर्जन किसानों की करोड़ों की जमीन पर नकलीं आधार कार्ड से रजिस्ट्री करवा ली। नामांतरण के समय पटवारी ने संबंधित किसानों से पूछताछ कर ली, नहीं तो खेला हो गया था। इंदौर-उज्जैन रोड पर सिलोदा गांव है। सांवेर तहसील के इस गांव के आधा दर्जन किसानों की चालीस बीघा जमीन की रजिस्ट्री रमेश माहेश्वरी के नाम हो गई। 

सूत्रों का कहना है कि संजय चौधरी बिसनावदा ने खेल रचा। किसानों के आधार कार्ड निकला कर उन पर फर्जी फोटो लगाकर रजिस्ट्रार कार्यालय में पेश कर जमीन की रजिस्ट्री करवा दी। वहां जमीन तीन से चार करोड़ रुपए बीघा है। करीब सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीन है। किसानों को खबर नहीं थी। वे खेती करते रहे। नामांतरण का आवेदन आया तो पटवारी दिव्या नायक ने किसानों से पूछा कि जमीन कब और किसे बेची है। किसान भौंचक रह गए। बोले कि जमीन नहीं बेची। सभी किसान एक-दूसरे से पूछने लगे।

खौफ से नाम नहीं बता रहे : सिलोदा के किसानों से पूछा कि आप लोगों के साथ धोखा हुआ और जमीन की रजिस्ट्री हो गई तो वे चुप हो गए। कहने लगे कि नाम नहीं छापना नहीं, तो वे हमें नहीं छोड़ेंगे। खराब लोग हैं। एक किसान ने कहा कि हां, रजिस्ट्री हो गई थी। पटवारी दिव्या की मेहरबानी रही। नामांतरण से पहले हमसे पूछ लिया, नहीं तो जमीन हाथ से निकल जाती।

जेल जा चुका है संजय सूत्रों का कहना है कि संजय चौधरी बिसनावदा का हेराफेरी और धोखाधड़ी में नाम है। पहले जेल गया था। रजिस्ट्रार भी दोषी-इंदौर के रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री होने की बात कही जा रही है। रजिस्ट्री से पहले आधार कार्ड से नाम, फोटो और अंगूठे के निशानों का मिलान किया जाता है। ऐसा नहीं कर रजिस्ट्री कर दी। रजिस्ट्री शून्य हो गई-गांववालों का कहना है कि जब हमने शिकायत की तो हमें चुप रहने को कहा और बताया कि रजिस्ट्री केंसल करवा देंगे, रजिस्ट्री शून्य करवा दी। यानी रजिस्ट्रार कार्यलय के अधिकारियों की मिलीभगत थी। रजिस्ट्री शून्य होने से खरीददार को करीब पांच से आठ करोड़ रुपए का फटका लगने की बात कही जा रही है।

अभी मैं बाहर हूं -जमीन खरीदार में नाम आ रहे रमेश माहेश्वरी से बात की तो उन्होंने ऐसा कोई वाकया होने से इनकार कर दिया, कहा अभी बाहर हूं, आकर बात करूंगा और फोन काट दिया।

किसानों से पूछा तो पता चला पटवारी दिव्या ने कहा कि रजिस्ट्री के बाद मेरे पास नामांतरण के लिए फाइल आई तो नियमानुसार किसानों से पूछने गई। तब किसानों को पता चला कि उनकी जमीन बिक गई, रजिस्ट्री हो गई। उन्होंने दावे-आपत्ति लगा कर रजिस्ट्री शून्य करवाई। नायक का कहना था कि किसानों ने मना किया है कि नाम, खसरा नंबर किसी को न बताएं।भाजपा के दो गुट भिड़े सूत्रों का कहना है कि मामला भोपाल के अलावा थाने तक पहुंचा था। कैबिनेट मंत्री ने बैठक कर दोनों पक्षों को समझाया था।

फोन बंद ही रहता है-वेदिका रियल स्टेट कंपनी के नाम से ब्रोकरी करने वाले संजय चौधरी बिसनावदा का फोन (9926014341) बंद आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि वो अकसर मोबाइल बंद रखता है और दूसरे दूसरे नंबर से काम करता है। साभार-प्रभात किरण

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