नर्सिंग कालेज मान्यता मामले में खुद को निर्दोष बता रहे तहसीलदार, पीआरसी से करेंगे मुलाकात रखेंगे अपना पक्ष

नर्सिंग कालेज मान्यता मामले में खुद को निर्दोष बता रहे तहसीलदार, पीआरसी से करेंगे मुलाकात रखेंगे अपना पक्ष

सवा सौ से अधिक अफसरों को मिले हैं नोटिस

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लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुके मध्यप्रदेश में शासकीय नौकरी से लेकर शासकीय अनुमतियों के मामले में भ्रष्टाचार किस कदर व्याप्त है इसकी बानगी नर्सिंग कालेजों की मान्यता में करोड़ों रुपए रिश्वतखोरी सामने आने पर पता चलती है किंतु अब लगता है कि वहीं कुछ माननीयों को बचाने में निर्दोषों को उलझाया जा रहा है । ऐसा इसलिए कि नर्सिंग कालेजों की मान्यता में करोड़ों रुपए रिश्वतखोरी सामने आने के बाद राज्य शासन की ओर से नोटिस पाने वाले 14 तहसीलदार और नायब तहसीलदार राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव और प्रमुख राजस्व आयुक्त से मिलने जा रहे है। चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद अब राजस्व अधिकारी संघ के बैनर तले विभाग के अफसरों से मुलाकात कर ये अधिकारी बताएंगे कि उन्हें सिर्फ यह बताने के लिए कहा गया था कि कालेज की जगह कहां है। जो जगह बताई गई थी, इसकी वास्तविक जानकारी तहसीलदारों में अपनी रिपोर्ट में दे दी थी पर सरकार ने नोटिस थमा दिया है।

इस बीच सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा डेढ़ दर्जन राजस्व अनुविभागीय अधिकारियों को भी नोटिस जारी करने की बात कही गई लेकिन किसे नोटिस जारी किया गया है, यह नहीं बताया जा रहा है। मप्र राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों के अनुसार वे जल्द ही प्रमुख सचिव राजस्व निकुंज श्रीवास्तव से मुलाकात कर बताएंगे कि जिन्हें नोटिस जारी किया गया है वे दोषी नहीं हैं। इसके लिए 2022 में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किए गए उस पत्र को भी बताया जाएगा जिसमें कलेक्टरों के माध्यम से जगह बताने की बात कही गई थी।

सवा सौ से अधिक अफसरों को मिले हैं नोटिस

सीबीआई जांच में नर्सिंग घोटाले के रिश्वत कांड का खुलासा होने के बाद राज्य सरकार ने पहले 111 अफसरों को नोटिस दिया था और फिर 14 तहसीलदार और नायब तहसीलदार को नोटिस जारी किए गए। इस मामले में 19 डिप्टी कलेक्टरों के नाम नोटिस जारी करने की बात भी सामने आई है लेकिन उनके नाम का खुलासा सामान्य प्रशासन विभाग नहीं कर रहा है।

सोशल मीडिया में आक्रोश

नोटिस पाने वाले अधिकारी इस बात को लेकर आक्रोशित हैं कि कई मामलों में दबाव बनाकर साइन कराए गए थे और ऐसे में संबंधित कलेक्टरों को नोटिस देने के बजाय तहसीलदारों को नोटिस थमाए जा रहे हैं। हालांकि कुछ अफसरों का कहना है कि नर्सिंग कालेज की मान्यता के मामले में कई जगह सही रिपोर्ट दी गई है पर कई स्थानों पर अधिकारी मौके पर नहीं गए और जो रिपोर्ट अधीनस्थ ने तैयार करके दी, उस पर हस्ताक्षर कर दिए।

नेता प्रतिपक्ष सिंघार कह चुके, मंत्री को बचाने डिप्टी कलेक्टरों को फंसा रहे

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट कर कहा है कि नर्सिंग संस्थाओं के घोटाले में मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने मंत्री को बचा कर घोटाले का ठीकरा डिप्टी कलेक्टरों और राजस्व अधिकारियों पर फोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अगर इतने बड़े घोटाले में ऐसे संरक्षण दिया जायगा तो सरकार में बैठे भ्रष्टाचारियों और प्रशासन के बड़े मगरमच्छों का क्या होगा? साभार@नैट

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