भोपाल । मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में अधिकारों का दुरुपयोग, षडयंत्र और कूट रचना करने के दोषी तहसीलदार आधारताल, पटवारी, तहसील कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी और प्रकरण में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध विजयनगर थाने में कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर एफ आई आर दर्ज हुई है। पुलिस द्वारा मामले में तत्काल कार्यवाही करते हुए तहसीलदार को गिरफ्तार कर लिया है ।
दर्ज एफ आई आर के मुताबिक आज दिनांक 12.09.24 को शिवाली सिंह अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अनुभाग-अधारताल संभाग जबलपुर द्वारा थाना आकर एक लिखित आवेदन पत्र विषय- राजस्व प्रकरण में पदीय अधिकारों का दुरुपयोग कर, सुनियोजित रूप से षड्यंत्र और कूट रचना कर अवैधानिक कार्यवाही करने के लिए तहसीलदार, पटवारी, अन्य कर्मचारियों तथा लाभगृहिता और संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के संबंध में प्रस्तुत किया जिसके अवलोकन पर आरोपीगण 1. अतिरिक्त तहसीलदार श्री हरिसिंह धुर्वे, 2. पटवारी श्री जागेन्द्र पिपरे, 3. दीपा दुबे पुत्री स्व० श्री श्याम नारायण चौबे 4. श्री रविशंकर चौबे स्व०श्री श्याम नारायण चौबे, 5. श्री अजय चौबे पिता स्व० श्याम नारायण चौबे निवासी – गढ़ा जिला जबलपुर, 6. श्री हर्ष पटेल पिता श्री मुकेश पटेल और 7. श्रीमति अमिता पाठक पिता/पति जे एन पाठक एवं अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध प्रथम दृष्टया भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 229, 318(4), 336(3), 338,340(2),198,61 का अपराध पाये जाने से अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। नकल आवेदन पत्र हस्व जैल है-कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी एवं दंडाधिकारी आधारताल जबलपुर क्रमांक / रीडर/222/ जबलपुर, दिनांक 12.09.2024 प्रति, थाना प्रभारी थाना विजयनगर जबलपुर विषय राजस्व प्रकरण में पदीय अधिकारों का दुरुपयोग कर, सुनियोजित रूप से षड्यंत्र और कूट रचना कर अवैधानिक कार्यवाही करने के लिए तहसीलदार, पटवारी, अन्य कर्मचारियों तथा लाभगृहिता और संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के संबंध में 1. न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी आधारताल जबलपुर द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक 0035/अपील/2024-2025 में पारित आदेश दिनांक 09.09.2024 की प्रति संलग्न है। 2. न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी आधारताल में अपीलार्थी श्री शिवचरण पांडेय पिता स्व०श्री सरमन पांडेय निवासी माडल टाउन जिला जबलपुर के द्वारा न्यायालय अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल के रा.प्र.क्र. 1587/अ-6/2023-24 में पारित आदेश दिनांक 8.8.2023 से व्यथित होकर म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 44 के तहत अपील प्रस्तुत की गई।
3. अपील में प्रस्तुत तथ्य संक्षेप में निम्नानुसार हैं -3.1 ग्राम रैगवा प०ह0न0 27 पुराना खसरा नंबर 51 वर्तमान बसरा नंबर 74 रकबा 1.01 हेक्टेयर विगत लगभग 50 वर्षों से राजस्व अभिलेखों में अपीलार्थी के नाम से दर्ज है। अपीलार्थी उक्त भूमि पर विगत 50 वर्षों से खेती करता चला आ रहा है व संपत्ति पर भौतिक रूप से काबिज है। अपीलार्थी द्वारा वर्ष 2004-2005 से 2023-2024 तक के खसरे संलग्न किये गये। उक्त संपत्ति अपीलार्थी को मूल भूमिस्वामी श्री महावीर प्रसाद पांडेय से उनके जीवन काल मे प्राप्त हुई थी। 3.2 अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल द्वारा प्रतिअपीलार्थीगणों के साथ मिलीभगत कर रा.प्र.क्र. 1587/अ-6/2023-24 में दिनांक 08/08/2023 को आदेश पारित कर राजस्व अभिलेखों से अपीलार्थी का नाम विलोपित कर, श्री महावीर प्रसाद पांडेय की फर्जी वसीयत दिनांक 14.02.1970 के आधार पर कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ रहे श्री श्याम नारायण चौबे के नाम दर्ज कर दी है। 3.3 उल्लेखनीय है कि श्री श्याम नारायण चौबे की पुत्री दीपा दुवे तहसील कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर (संविदा) का कार्य करती है। फर्जी तरीके से अतिरिक्त तहसीलदार से उक्त आदेश पारित करवाने में दीपा दुबे और पटवारी की भी संलिप्तता रही है। 4. अपीलार्थी के अनुसार वसीयतनामा दिनांक 14.02.1970 पूर्ण रूप से कूटरचित एवं फर्जी है। महावीर प्रसाद जी के जीवनकाल मे ऐसी कोई भी वसीयत किसी के भी नाम से नहीं की गई है। कूटरचित वसीयतना मे के आधार पर नामांतरण की कारवाई की गई है।
राजस्व अभिलेखों में अपीलार्थी का नाम विगत 50 वर्ष से दर्ज होने के बाबजूद अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपीलार्थी को ना तो पक्षकार बनाया गया और न ही कोई सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। अधीनस्थ न्यायालय मे श्याम नारायण चौबे के द्वारा महावीर प्रसाद की मृत्यु 22.12.1971 को होने का लेख किया गया है किंतु मूल मृत्यु प्रमाण पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नही किया है। महावीर प्रसाद की मृत्यु दिनांक 22.12.1971 के लगभग 52 वर्ष उपरांत तथाकथित वसीयत दिनांक 14.02.1970 के आधार पर नामांतरण पेश किया गया। वसीयतनामा पंजीकृत भी नहीं है। 52 वर्ष उपरांत वसीयत प्रस्तुत होने, वसीयतकर्ता और वसीयतग्राहिता का कोई भी पारिवारिक संबंध न होने और नामांतरण वाक्षित खसरे में किसी अन्य व्यक्ति का नाम बतौर भूमिस्वामी के दर्ज होने की स्थिति में वसीयत का सत्यापन करने का कोई भी अधिकार राजस्व न्यायालय को प्राप्त नहीं है। इसके बावजूद अधीनस्थ न्यायालय ने जो प्रतिअपीलार्थी क्रमांक 2,3,4 के पिता श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज कर दिया है। तहसील कार्यालय में पदस्थ होने का फायदा उठाते हुए प्रतिअपीलार्थी दीपा दुबे द्वारा उसके भाइयों, तहसीलदार और पटवारी के साथ मिलकर षड्यंत्र कर, सुनियोजित ढंग से कूट रचित वसीयतनामा के आधार पर अपने पिता श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज करवाया गया और उनकी मृत्यु के तत्काल बाद पूर्व योजना के अनुसार तत्काल अपना नाम और भाइयों का नाम प्रकरण क्रमांक 1376/3-6/2024-2025 में पारित आदेश दिनांक 26/6/2024 के आधार पर संपत्ति पर दर्ज कर लिया गया और इसके तुरंत बाद दिनांक 10/7/2024 को उक्त संपत्ति श्री हर्ष पटेल पिता श्री मुकेश पटेल, निवासी 70 करमेता नया 67 एकता नगर, विजय नगर जबलपुर को विक्रय कर दी गई है। 5. प्रकरण में अधीनस्थ न्यायालय के प्रकरण का सूक्ष्म अवलोकन करने पर पाया गया कि- 5.1 अधोन्यायालय में आवेदक श्याम नारायण पिता स्व० छोटेलाल निवासी जिला जबलपुर के द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया कि वसीयतकर्ता स्व महावीर प्रसाद वल्द शिवनारायण साकिन नैनी उत्तरप्रदेश द्वारा अपने जीवनकाल मे लाऔलाद होने के कारण ग्राम रेंगवा स्थित भूमि पुराना खसरा नंबर 51 रकबा 2.41 एकड नया खसरा नंबर 74 रकबा 1.00 हे0 भूमि पर भूमि नाबालिग श्याम नारायण पिता स्व० छोटेलाल निवासी गढ़ा के पक्ष में दिनांक 14/2/1970 तीन गवाहों के समक्ष वसीयत निष्पादित की है। अतः वसीयत के आधार पर आवेदक का नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज किया जाने का अनुरोध किया गया।
5.2 प्रकरण मे वसीयत के साक्षी गनाराम चौकसे पिता दुलीचंद, श्रीमति रामेती बाई पति सुन्दरलाल निवासी गढ़ा, पुरवा एवं प्यारी बाई पति जागेश्वर प्रसाद निवासी पूर्व पनागर हाल विवेकानंद वार्ड चेरीताल द्वारा समक्ष में उपस्थित होकर नोटराईज्ड शपथ पत्र पर वसीयतग्रहीता के पक्ष मे वसीयत निष्पादित होना लेख किया गया। 5.3 हल्का पटवारी द्वारा प्रतिवेदित किया गया कि ग्राम रैंगवा स्थित भूमि खसरा नंबर 51 रकबा 2.41 एकड नया 74 रकबा 1.00 हे0 भूमि पर शिवचरन पिता सरमन निवासी उपरैनगंज जबलपुर का नाम दर्ज है। प्रकरण मे संलग्न खसरो की सत्यप्रति अनुसार खसरा नंबर 51 रकबा 2.41 एकड पर वर्ष 1964-65 से 1967-68 तक महावीर प्रसाद वल्द शिवचरन का नाम दर्ज होना पाया गया है। प्रकरण में संलग्न रिनबंरिग सूची अनुसार पूर्व खसरा नंबर 51 रकबा 2.41 एकड का नया नंबर 74 रकबा 1.00 हेक्टेयर निर्मित हुआ है। प्रकरण में संलग्न नामांतरण पंजी की नकल अनुसार खसरा नंबर 51 रकबा 0.975 हे0 पर विरासतन हक मे महावीर प्रसाद लाऔलाद फौत होने पर काबिज भतिजे शिवचरन लाल है के नाम दर्ज होने का लेख है। 5.4 अधोन्यायालय द्वारा वसीयतयाहिता द्वारा प्रस्तुत वसीयत का अनुप्रमाणन साक्षीगण से कराया गया और ग्राम रैंगवा प०ह0न0 27/77 पुराना खसरा नंबर 51 रकबा 2.41 एकड नया खसरा नंबर 74 रकबा 1.00 हेक्टेयर भूमि आवेदक श्याम नारायण पिता स्व०छोटेलाल निवासी जबलपुर के नाम राजस्व अभिलेखो मे दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया। 6. अधोन्यायालय के प्रकरण में दस्तावेजी साक्ष्यो का अवलोकन और विश्लेषण करने पर करने पर निम्नानुसार तथ्य प्रकट होते हैं 6.1 प्रकरण मे अधोन्यायालय के समक्ष प्रस्तुत आवेदन, आवेदक श्री एस चौबे के हस्ताक्षर से प्रस्तुत किया गया है श्री श्याम नारायण चौबे का नाम कहीं भी आवेदन पत्र में उल्लेखित नहीं है। श्री श्याम नारायण चौबे निवासी गढा (जो वाहन चालक के पद पर कार्यालय कलेक्टर जबलपुर में पदस्थ रहे थे) में आवेदन पर हस्ताक्षर एवं आदेश पत्रिका में हस्ताक्षर भिन्न भिन्न है। आवेदक द्वारा आवेदन पत्र में स्थायी निवास का पता भी अंकित नहीं किया है, न ही कही परिचय पत्र, आधारकार्ड अधीनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत किया है। 6.2 प्रकरण में हितबद्ध पक्षकार वर्तमान भूमिस्वामी जारी नोटिस की चस्पा तामिली एवं उस पर हस्ताक्षर प्रथम दृष्टया सदेहास्पद है। हितबद्ध पक्षकार को समुचित रूप से सूचना दिये बगैर उसकी अनुपस्तिथि में की गई नामांतरण की कार्यवाही विधिसंगत नहीं है। इस प्रकरण में न तो हितबद्ध पक्षकारों को पक्षकार बनाया गया है।
और न इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि वसीयत की गयी संपत्ति स्वअर्जित है या वंशानुगत है। इस संबंध में कोई भी दस्तावेज न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किये गए हैं। 6.3 अधोन्यायालय के समक्ष प्रस्तुत वसीयतनामा तीन रूपये के स्टाम्प पर निष्पादित किया गया है। जिसमे साक्ष्य क्रमांक 1 गनाराम चैकसे पिता दुलीचंद चौकसे एवं साक्ष्य क्रमांक 2 रामेती बाई पति सुंदर लाल, निवासी गढ़ा पुरवा साक्ष्य क्रमांक 3 प्यारी बाई पति जागेश्वर प्रसाद निवासी विवेकानंद वार्ड चेरीताल के द्वारा नोटराईज्ड शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। शपथ पत्र में किसी भी गवाह की उम्र का उल्लेख नहीं किया गया है। अधोन्यायालय की आदेश पत्रिका दिनाक 02/8/2023 में वसीयत के साक्षी उपस्थित हुए लेख किया गया किंतु किसी भी साक्षी के आदेश पत्रिका में हस्ताक्षर नहीं है।
अधोन्यायालय की आदेश पत्रिका मे नोटराईज्ड शपथ पत्र में वसीयतकर्ता की वसीयत गवाहों द्वारा प्रमाणित की जा रही है किंतु न्यायालयीन आदेश पत्रिका में उनकी उपस्थिति दर्शित नहीं हो रही है। नोटराईज्ड स्टाम्प में भी स्टाम्प क्रेता की आयु का उल्लेख एवं उनके निवास का उल्लेख नही किया है। शपथ पत्र में वसीयतकर्ता की वसीयत करते समय मनोदशा एवं स्वस्थचित हालत में वसीयत किये जाने संबंधित तथ्य उल्लेखित नहीं है। 6.4 प्रकरण में रजिस्ट्रार जन्म एवं मृत्यु नगर निगम जोन 13 के द्वारा दिनांक 4/8/2016 को कम्पयूटराईज्ड सिग्नेचर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्रप्रस्तुत किया गया है जिसमे स्व० महावीर प्रसाद की में मृत्यु दिनांक 22/12/1971 उल्लेखित है। 6.5 अपंजीकृत वसीतयनामा लगभग 52-53 वर्ष उपरांत नामांतरण हेतु प्रस्तुत किया जाना प्रथम दृष्टया संदिग्ध और कूट रचित होना स्वमेव प्रतीत होता है। 6.6 अधोन्यायालय में पटवारी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है कि महावीर प्रसाद द्वारा अपने जीवनकाल मे ही विषयागत भूमि नाबालिग श्याम नारायण वल्द छोटे लाल निवासी गढा को दिनांक 14/2/1970 को वसीयत कर दी थी, लेकिन शिवचरण वल्द सरमन ने बदनियती से मात्र कब्जे के आधार पर उक्त भूमि ना०पंजी कमांक 106 दिनांक 5/3/1969 को अपने नाम पर नामांतरण प्रमाणित कर दर्ज करा ली है जो पूर्णतः विधि विरूद्ध है।
अतः पटवारी द्वारा ग्राम रैगवा स्थित भूमि पुराना खसरा नंबर 51 नया 74 रकबा 1.00 हे0 पर बसीयत के आधार पर श्याम नारायण वल्द छोटेलाल निवासी गढ़ा के नाम दर्ज करने के लिए कार्यवाही किया जाना प्रस्तावित किया गया। 6.7 पटवारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट एक पक्षीय और दुर्भावनापूर्ण स्पष्ट रूप से प्रदर्शित है। हल्का पटवारी प्रतिवेदन में मौका जांच एवं स्थल पंचनामा संलग्न नहीं किया गया, न ही उनके द्वारा पूर्व भूमिस्वामी महावीर प्रसाद के विधिक वारसानो की जानकारी एवं मृत्यु प्रमाण पत्र एवं मृत्यु दिनांक की जांच की गई। वसीयतकर्ता एवं वसीयतग्राहिता के संबंधो पर मौका जांच प्रतिवेदन नहीं किया गया। हल्का पटवारी द्वारा न ही वसीयतग्राहिता की वल्दीयत एवं वसीयत के समय वसीयतग्राहिता की उम्र संबंधित दस्तावेजो का भी मौका मिलान किया गया। वर्ष 1969 में हुए नामांतरण को पटवारी द्वारा बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्य के विधि विरुद्ध प्रतिवेदित कर दिया गया है। राजस्व अभिलेख में महावीर प्रसाद का नाम दर्ज नहीं होने के बावजूद उसके द्वारा 50 वर्ष पूर्व निष्पादित कथित वसीयत के आधार पर नामांतरण की कारवाई प्रस्तावित करना प्रकरण में पटवारी की संलिप्तता को प्रदर्शित करता है।
6.8 अधोन्यायालय प्रकरण में प्रस्तुत समस्त दस्तावेज यथा वसीयत, मृत्यु प्रमाणपत्र, नोटरीयुक्त शपथ पत्र, पटवारी प्रतिवेदन आदि आवेदक (जिनकी पुत्री तहसील कार्यालय में संविदा कर्मचारी है) के पक्ष मे नामांतरण हेतु सुनियोजित तरीके से तैयार कर अधोन्यायालय में प्रस्तुत किया जाना दर्शित होता है, जिनके आधार पर तत्कालीन पीठासीन अधिकारी द्वारा जानबूझकर विधिक तथ्यों को दरकिनार कर आदेश पारित किया गया। 6.9 राजस्व अभिलेख में महावीर प्रसाद का नाम ही दर्ज नहीं है इसके बाद भी उसकी 50 वर्ष पूर्व की कथित वसीयत के आधार पर वर्तमान भूमि स्वामी का नाम एकपक्षीय रूप से विलोपित कर कथित वसीयत ग्रहिता, जो की तहसील कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी का पिता है का नाम दर्ज करने का आदेश पारित करना पीठासीन अधिकारी की दुर्भावना और संलिप्तता को प्रदर्शित करता है। 6.10 पीठासीन अधिकारी द्वारा महत्वपूर्ण विधिक तथ्य की जानबूझकर अनदेखी की गई कि महावीर प्रसाद की वसीयत के आधार पर नामांतरण करने से पूर्व वर्तमान भूमि स्वामी का नामांतरण निरस्त करना अनिवार्य है। उक्त नामांतरण निरस्त करने की अधिकारिता पीठासीन अधिकारी को नहीं है। अतः पीठासीन अधिकारी द्वारा पारित नामांतरण आदेश विधि विरुद्ध है। 6.11 पीठासीन अधिकारी श्री हरिसिह धुर्वे तहसीलदार आधारताल जबलपुर के पद पर कार्यरत थे। अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल जबलपुर के पद पर श्री राजेश कौशिक कार्यरत थे। उक्त दोनों न्यायालयों के मध्य कार्य विभाजन कलेक्टर जबलपुर के द्वारा किया गया है। श्री हरिसिंह धुर्वे तहसीलदार आधारताल जबलपुर द्वारा अधिकारिता से परे जाकर अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल जबलपुर के न्यायालय में दर्ज प्रकरण का निराकरण किया गया है। अधिकारिता विहीन होने से उक्त कार्यवाही विधि विरुद्ध है।
7. उपरोक्त विस्तृत विवेचना एवं न्याय दृष्टान्त के आधार पर मध्यप्रदेश भू- राजस्व संहिता 1959 की धारा 44 (1) के अध्याधीन रहते हुए अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाकर अधोन्यायालय का विचारण प्रकरण क्रमांक 1587/1-6/2023-2024 आदेश दिनांक 8/8/2023 एवं पश्चातवर्ती रा०प्र०क्र0 1376/अ-6/2024-25 आदेश दिनांक 26/6/2024 अपास्त किया जाकर रिकार्ड पूर्ववत् श्री शिवचरण पांडेय पिता स्व०श्री सरमन पांडेय निवासी माडल टाउन रैंगवा जिला जबलपुर के नाम दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया। 8. प्रकरण में अतिरिक्त तहसीलदार श्री हरिसिंह धुर्वे, पटवारी श्री जागेन्द्र पिपरे और कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे द्वारा लोकसेवक के नाते प्रदत्त पदीय अधिकारों का दुरुपयोग किया जाना सिद्ध है। राजस्व न्यायालय द्वारा न्यायसंगत और निरपेक्ष कारवाई किया जाना अपेक्षित है लेकिन विषयागत प्रकरण में उक्त लोकसेवकों द्वारा सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र कर प्रथम दृष्टया कूटरचित दस्तावेज और एकतरफा कारवाई कर एक 95 वर्ष के व्यक्ति की भूमि को हड़पने के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया गया है। 9. सुनियोजित षड्यंत्र कर, कूट रचना कर 95 वर्ष के व्यक्ति की भूमि को हड़पने के लिए लाभगृहिता दीपा दुबे पुत्री स्व० श्री श्याम नारायण चौबे और उसके भाई श्री रविशंकर चौबे पिता स्व०श्री श्याम नारायण चौबे, श्री अजय चौबे पिता स्व० श्याम नारायण चौबे, निवासीगढ़ा जिला जबलपुर, श्री हर्ष पटेल पिता श्री मुकेश पटेल निवासी- 70 करमेता नया 67 एकता नगर, विजय नगर जबलपुर एवं श्रीमति अमिता पाठक पिता/पति स्व. श्री जे एन पाठक निवासी बी-139 जी.बी. एन. कालोनी एकता नगर तह. जिला जबलपुर दोनो ही क्रेता दस्तावेज क्र. MP182552024A1884549 अनुसार की आपराधिक संलिप्तता सिद्ध है।
10 कथित वसीयत को प्रमाणित करने के लिए नोटराइज्ड शपथ पत्र प्रस्तुत करने वाले गवाह गनाराम चौकसे पिता दुलीचंद चौकसे, रामेती बाई पति सुंदर लाल, निवासी गढा, प्यारी बाई पति जागेश्वर प्रसाद निवासी विवेकानंद वार्ड चेरीताल, शपथ पत्र तैयार करने वाले नोटरी श्री आनंद मोहन चौधरी, कथित चस्पा तामिली करने वाले कर्मचारी श्री राम सहाय झारिया की भूमिका भी संदेहास्पद है। 11. अतः उक्त व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 229, 318, 336, 338 साथ-साथ अन्य यथोचित अधिनियम और धाराओं आपराधिक प्रकरण दर्ज कर आवश्यक कारवाई करने का कष्ट करें।
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