काम में लापरवाही करने वाले नायब तहसीलदार ओर रीडर की वेतन वृद्धि रोकने के कलेक्टर ने दिए आदेश
कलेक्टर ने तहसील कार्यालय का किया आकस्मिक निरीक्षण, राजस्व महाभियान की प्रगति की समीक्षा की
अधिकारी ओर कर्मचारी पशोपेश में संहिता का पालन करें या फिर नियमों से हट कर काम, ऐसे तो भविष्य में बड़ सकते है जमीन विवाद के मामले
लोकमतचक्र डॉट कॉम।
हरदा। कलेक्टर आदित्य सिंह ने सोमवार शाम को तहसील कार्यालय खिरकिया का आकस्मिक निरीक्षण किया। इस दौरान अपर कलेक्टर डॉ.नागार्जुन बी. गोड़ा तथा एसडीएम खिरकिया संजीव नागू भी मौजूद थे। निरीक्षण के दौरान तहसीलदार न्यायालय में रिकॉर्ड अपडेट न पाए जाने पर कलेक्टर श्री सिंह ने रीडर मंगेश पाठक की वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश दिए। कलेक्टर श्री सिंह ने राजस्व महाभियान में अच्छा प्रदर्शन न करने पर, नायब तहसीलदार खिरकिया देवराम निहरता की वेतन वृद्धि रोकने के लिए नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने श्री निहरता का प्रभार नायब तहसीलदार सुश्री प्रिंसी जैन को आज ही दिलाने के निर्देश एसडीएम श्री नागू को दिये। कलेक्टर श्री सिंह ने राजस्व न्यायालय के निरीक्षण के दौरान खिरकिया तहसील के हल्का नंबर 33 की पटवारी सुश्री पूजा कश्यप द्वारा सीमांकन की रिपोर्ट समय सीमा में प्रस्तुत न किए जाने पर उनकी वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश भी दिए।
कलेक्टर श्री सिंह ने तहसीलदार और नायब तहसीलदार खिरकिया की राजस्व न्यायालय के निरीक्षण के दौरान निर्देश दिए कि राजस्व न्यायालयों में कोई भी प्रकरण बिना पंजी में दर्ज किये न रहे । उन्होंने राजस्व न्यायालय में प्रकरणों के निराकरण की जानकारी आरसीएमएस पोर्टल पर अनिवार्य रूप से दर्ज करने के निर्देश भी दिए ।
गौरतलब है कि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बरसात के मौसम में मध्यप्रदेश शासन के द्वारा राजस्व महाअभियान 2.0 शुरू किया गया है जिसमें भू अभिलेख नियमावली के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है जिसके चलते अभियान में प्रगति दिखाने के लिए पटवारी ओर अधिकारीयों द्वारा नक्शा तरमीम की जा रही है जो कि आगे जाकर जमीन विवाद का बड़ा कारण बनेगा इसके साथ ही प्रकरणों का तत्काल निराकरण करने के चक्कर में संहिता में वर्णित प्रावधानो का भी समुचित पालन नहीं हो रहा है जिसके कारण भी तहसीलदार, नायब तहसीलदार आपेक्षित प्रगति नहीं दे पा रहे है ओर वरिष्ठ अधिकारियो के कोप का शिकार हो रहे है। सूत्रों की माने तो वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव के चलते राजस्व मामलों में संहिता का पलन किये बिना प्रकरणों को निपटाया जा रहा है जिससे भविष्य में जमीन संबंधी विवाद बढ़ने की संभावनाएं काफी बड़ गई है।
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