कलेक्टर ने कर्मचारियों का दो माह का वेतन कटवाया न्यायालय ने नियम विरुद्ध बताया, तत्काल वेतन जारी करने के दिए निर्देश
लोकमतचक्र डॉट कॉम।
भोपाल। एक कलेक्टर (IAS) की अनुभवहीनता और अति आत्मविश्वास में लिए गये कर्मचारी विरोधी अनुचित निर्णय को न्यायालय ने पलट दिया ओर कलेक्टर के कर्मचारियों का दो माह का वेतन कटवाने को न्यायालय ने नियम विरुद्ध बताते हुए तत्काल वेतन जारी करने के निर्देश दिये है । मध्यप्रदेश के देवास जिले में पहली बार कलेक्टर बनकर आए ऋषभ गुप्ता का कार्य उनकी अनुभवहीनता और अति आत्मविश्वास में अनुचित निर्णय लेने का प्रतीक रहा है। कलेक्टर के अधिनस्थों द्वारा भी पद और अधिकारों का दुरुपयोग करने के अनेक मामले चर्चा में रहे हैं। कलेक्टर के अधिनस्थ विभागों में भी नियम विरुद्ध कार्य सहित कार्रवाई करने और वास्तविक कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता पूर्ण करने के मामले चर्चा में बने रहते हैं।
कलेक्टर के दौरे जिले में होते रहते हैं। कुछ समस्या ऐसी रहती हैं जो जिला स्तर पर ही हल होती हैं। दौर के तहत समस्याओं का समाधान होने से जनता को राहत मिलनी चाहिए लेकिन ऐसा कम ही होकर दौरा औपचारिक तथा मनमानी का प्रतीक बन जाता है। इसी दौरे में पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय सेवा में लगे कर्मचारियों को आर्थिक रूप से जरूरत से ज्यादा दंडित करने के मामले भी सामने आ रहे है। अधिकतर कर्मचारी डर के चलते कुछ कह नहीं पाते और चुपचाप उस सजा को सहन कर लेते हैं। ऐसे ही मामले में विगत दिनों बागली क्षेत्र में जिला कलेक्टर ऋषव गुप्ता का दौरा हुआ और इस दौरान अलग-अलग स्कूलों में अध्यापन कार्य करवाने वाले शिक्षक गोविंद राजपूत, अब्दुल अजीज खान मौके पर संबंधित स्कूलों में नहीं मिले। इस मामले अजय जी तो स्कूल में मौजूद थे कलेक्टर ने बच्चों से कुछ जानकारी मांगी यह नहीं देने पर उन पर भी कार्रवाई कर दी गई। इस अवस्था में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने अपनी निजी शक्ति का उपयोग करते हुए संबंधित शिक्षकों के दो माह के वेतन काटने के आदेश जारी कर दिए। आदेश का पालन भी हुआ शिक्षकों का वेतन रुक गया। जो उनके लिए बड़ा परेशानी भरा रहा। कारण स्पष्ट है की प्रतिमाह वेतन प्राप्त कर जीविका चलाने वाले परिवार महीने के आखिरी दिनों में पूरा वेतन समाप्त होने के बाद शीघ्र ही नए वेतन का इंतजार करते हैं। ऐसे में लगातार दो महीने का वेतन काटना मानव मूल्यों के साथ भी अनैतिकता है।
इन शिक्षकों ने आदेश को नहीं मानते हुए उच्च न्यायालय की शरण ली सम्मानीय न्यायालय ने मानव मूल्य का ख्याल रखते हुए तथा उनके परिवार के सदस्य एवं छोटे बच्यों के पालन पोषण की जिम्मेदारी को सर्वोपरि मानते हुए उक्त आदेश को निरस्त करते हुए आदेशित किया कि तत्काल रूप से इन शिक्षकों का दो माह का रुका हुआ वेतन जारी किया जाए। यह निर्णय सार्वजनिक होते ही अन्य कर्मचारियों में भी उत्साह आ गया है। वह भी अब इस प्रकार की अनुचित कार्रवाई का विरोध करने को तैयार हैं। इसके पूर्व कई लोग इस प्रकार के आदेश का शिकार हो चुके हैं।
भारत की न्याय प्रणाली में न्याय सभी को मिलता है इस संबंध में हाई कोर्ट के वरिष्ठअधिवक्ता आशीष गुप्ता एवं युवा अधिवक्ता काजल रघुवंशी ने बताया कि ऐसे कई मामले उनके पास आते हैं जिसमें उच्च अधिकारी पद का दुरुपयोग करते हुए अधीनस्थ कर्मचारियों और अन्य विभाग के कर्मचारियों के वेतन काटने का निर्देश जारी कर देते हैं लेकिन न्यायालय में उन्हें न्याय मिल जाता है और अधिकतर मामले में उनके पक्ष में फैसला आता है, यही न्याय प्रणाली है।
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