आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज सिर्फ जैनों तक सीमित नहीं थे राष्ट्रसंत थे : निर्यापक मुनिश्री वीरसागरजी
श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से मनाया मुनि वीररसागरजी का 21वां दीक्षा दिवस, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुआ पिच्छिका परिवर्तन समारोह
लोकमतचक्र डॉट कॉम।
हरदा (सार्थक जैन)। आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज सिर्फ जैनों तक सीमित नहीं थे राष्ट्रसंत थे। आचार्य भगवन ने कैदीयों के उद्धार की बात सोची, उनका जीवन कैसे बदले कैसे उनका उद्धार हो इसका चिंतन किया परिणामस्वरूप आज जेलों में हथकरघा से वस्त्रों का निर्माण शुरू हुआ ओर कैदियों के जीवन में परिवर्तन होने लगा। उक्त उद्गार निर्यापक श्रमण मुनिश्री वीरसागरजी महाराज ने आज सिद्धोद्वय सिद्ध क्षेत्र में आयोजित २१वां दीक्षा दिवस समारोह में व्यक्त किये।
मुनिश्री ने कहा कि आचार्य कुंद कुंद ने अनेकों भव्य जीवों का उद्धार किया, जिनालय बनवाये गुरुदेव ने भी ऐसे शाश्वत जिनालय बनवाये यह नेमावर का मंदिर भी साक्षात अकृतिम चैत्यालय समरूप दिखता है ।सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में चातुर्मासरत निर्यापक श्रमण मुनिश्री वीरसागरजी महाराज की दीक्षा का 10 अगस्त को 21 वर्ष पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं ने मुनिश्री का 21वां दीक्षा दिवस भक्तिभाव से मनाया।
ट्रस्ट कमेटी के कार्याध्यक्ष सुरेश काला व महामंत्री सुरेंद्र जैन ने बताया कि सुबह 6:15 बजे से मेडिटेशन, 7 बजे पंचबालयती जिनालय में नेमीनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक-शांतिधारा, संगीतमय पूजन हुई। सुबह 9:30 पर मुनिसंघ की आहारचर्या, दोपहर 1:30 बजे से संयम दिवस कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री वीरसागरजी महाराज जी की पिच्छिका परिवर्तन भी कि गई उन्होंने नवीन पिच्छिका देने का सौभाग्य ब्रह्मचारी भैय्या बहनों को मिला तो पुरानी पिच्छिका लेने का सौभाग्य मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के भाई भाभी निलेश जैन मोनिका जैन बम्बई को प्राप्त हुआ।
मीडिया प्रभारी राजीव जैन, पुनीत जैन ने बताया कि सभी आयोजन प्रतिष्ठाचार्य ब्र.नितिन भैया खुरई के निर्देशन में संपन्न हुए। 21 श्रावक श्रेष्ठियों के द्वारा पंचबालयती मंदिर परिसर में पौधारोपण भी किया गया जिसमें दुर्लभ प्रजाति काले शिशम के पौधों का रोपण किया गया। उक्त काला शिशम का वृक्ष मध्यप्रदेश सहित आसपास के चार राज्यों में लुप्त हो गया है ।इस अवसर पर आरती सजाओ प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। आरती सजाओ प्रतियोगिता में प्रथम शिल्पी बजाज, द्वितीय प्रिया रपरिया एवं तृतीय स्थान रिंकी राजकुमार जैन को प्राप्त हुआ तीनों प्रतियोगी हरदा जैन समाज की रही।
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